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"हम दूसरों के पाप और अपराध गिनाकर, अपने पाप और अपराध को सही नहीं ठहरा सकते": शहंशाह हैदर आब्दी; बलात्कार व हत्या की घटनाओं को संप्रदायिकता का रंग देने का बढता मिजाज | New India Times

“हम दूसरों के पाप और अपराध गिनाकर, अपने पाप और अपराध को सही नहीं ठहरा सकते”: शहंशाह हैदर आब्दी; बलात्कार व हत्या की घटनाओं को संप्रदायिकता का रंग देने का बढता मिजाज

लेखक: सैय्यद शहंशाह हैदर आब्दी Edited by Arshad Aabdi, झांसी, NIT​ हम आसिफा के लिए इंसाफ नहीं मागेंगे? हमने निर्भया के लिऐ भी इंसाफ नहीं मांगा था। जी क्योंकि आपने…