नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
मान लीजिए कि आप किसी राष्ट्रीय हाइवे पर 100 के स्पीड से कार चला रहे हैं और अचानक किसी ब्रिज के असंतुलित अंधे चढ़ान-उतार से कार छलांग लगा दे तो क्या होगा, रौंगटे खड़े कर देने वाले इस अनुभव से उन तमाम वाहन चालकों को गुजरना पड़ रहा है जो हर रोज NH 753F, 752 H पर चल रहे हैं। औरंगाबाद जिले की सीमा में आने वाले 753F, 752H फोरलेन निर्माण में इंजीनियरिंग के मानकों पर अनगिनत तकनीकी लापरवाहियां बरती गई हैं जो हादसों का कारण बन रही हैं। पाठकों की शिकायत के चलते हमने स्वयं इस सड़क पर यात्रा की तो सारी तकनीकी खामियां उजागर हुईं। वाकोद, पालोद, मनिकनगर, फुलंब्री, बिल्दा, चौका घाटी, सावंगी में पुराने पुल गिराकर बड़े पुलों का किया जा रहा निर्माण कार्य काफ़ी धीमा है। जहाँ जहाँ पाइप डालकर छोटे ब्रिज बनाए हैं वहां सड़क और ब्रिज की सतह बेमेल है जिसका अनुमान नहीं आने के कारण तेज रफ़्तार वाहन हवा में जंप करते हैं। फोरलेन पर केम्बर के काम ऐसे किए हैं कि बारिश का सारा का सारा पानी सड़क पर जमा हो कर सिमेंट रोड पर गढ्ढे पड़ रहे हैं। सिल्लोड के आसपास की 12 किमी पुरानी सड़क आज भी वैसी ही स्थिति में है। मोड़ (टर्न) पर कर्व बिल्कुल बेकार है, कई जगहों पर कांक्रीट सड़क में बड़ी बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं। 753F, 752H इस कंक्रीट फोरलेन का काम बेहद घटिया किस्म का है इसके विपरित अगर आप जलगांव जिले की सीमा में इस सड़क के काम को देखेंगे तो वह बेस्ट किया गया है।
ज्ञात हो कि वर्ष 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इस फोरलेन प्रोजेक्ट को मान्यता दी थी और NHAI ने 2019 में इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य को आरंभ किया था, आज पूरे 5 साल बीतने के बाद भी 165 किमी लंबा यह राजमार्ग पूरा नहीं हो सका है। खुद को इंजीनियरिंग का विशेषज्ञ बताने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी इस प्रोजेक्ट के घटिया किस्म के निर्माण के साथ साथ प्रोजेक्ट में इस्तेमाल किए गए इंजीनियरिंग के गज़ब बिंदुओ और उसमें किए भ्रष्टाचार के बारे मे कोई संज्ञान लेंगे या नहीं यह सवाल लोगों द्वारा पूछा जा रहा है।
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