नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
SH 44 भुसावल-खामगांव सड़क 2005 से PWD और ठेकेदारों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बन चुकी है। इस खबर में प्रकाशित दोनों वर्क आर्डर बोर्ड को ध्यान से पढ़िए, यह बोर्ड स्टेट हाइवे नं 44 के हैं। आज से 8 साल पहले 2015 में 5 करोड़ रुपए से 6 किमी सड़क के मरम्मत का काम किया गया उसके बाद 2021 में 2 करोड़ 97 लाख रुपए से 5 किमी सड़क के मरम्मत का काम कराया गया। आठ साल के भीतर इस सड़क को केंद्रीय मार्ग निधि से 8 करोड़ रुपए खर्च कर दो टुकड़ों में रिपेयर किया गया। इसके पहले जापान सरकार की आर्थिक सहायता से इसी सड़क को 2005 में भुसावल से अजंता तक जोड़ने के लिए 15 करोड़ रुपए दिए गए थे जिसमें 15 किमी लंबा NH 753 L शामिल था यानी कुल 42 किमी, यह पूरी सड़क डामर से बनाई गई थी जिसके दोनों तरफ नालियों का निर्माण कराया जाना था जो नहीं हुआ। नालियों का पूरा पैसा अधिकारी और ठेकेदार खा गए, भ्रष्टाचार के आरोप हुए जांच भी चली पर सब कुछ रफादफा कर दिया गया। आज तक कुल 25 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी गंगापूरी से क़ुरहा गांव तक यह सड़क उखड़ चुकी है। रिपेयरिंग के नाम पर घटिया काम कर PWD की ओर से हर साल लाखों रुपए का बिल पास करवाया जाता आ रहा है। इसी सड़क के लितपोती को लेकर मार्च 2023 में NIT ने रिपोर्ट प्रकाशित की थी। सरकारी अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज का दर्जा देकर नए कीर्तिमान का झूठा भ्रम पैदा करने वाले भाजपा के नाकाम नेता अपने निर्वाचन क्षेत्र से गुजरने वाली इन सड़कों का मनुहार करते सुने गए हैं, शायद यह कमीशन का असर रहा होगा। हम यहाँ सड़क तेरे बाप की, टेंडर तेरे बाप का जैसे अशालीन संवाद दर्ज कर किसी की मर्यादा को ठेस पहुंचाना नहीं चाहते लेकिन पैसा कमाने के लिए किसी सरकारी सड़क को कोई अपनी बपौती समझकर लूट मचा रहा होगा तो उसकी भ्रष्टाचार की लंका में आग अवश्य लगनी चाहिए।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.