कपास को लेकर कलेक्ट्रेट के सामने NCP ने किया आंदोलन. बालू माफियाओं को मंत्री गुलाबराव पाटिल द्वारा संरक्षण देने का लगा आरोप | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

कपास को लेकर कलेक्ट्रेट के सामने NCP ने किया आंदोलन. बालू माफियाओं को मंत्री गुलाबराव पाटिल द्वारा संरक्षण देने का लगा आरोप | New India Times

साल 2022 खरीफ में बोया कपास जब दिवाली के बाद मार्केट में आया तब दर था 9 हजार रुपये, आज 7 महीने बाद दर है 6500 रुपये। उमीद थी कि कम से कम 9 के 10 हजार होंगे लेकिन हो गए 6500, अब कपास को लेकर सरकार से दर वृद्धि की आशा करना मतलब संसद की नई इमारत में स्थापित सेंगोल (राजदंड) के मुताबिक नए भारत की राजतंत्रीय व्यवस्था और उसके स्वघोषित राजा का अपमान करने जैसा होगा। कल्पना कीजिए अगर इस वक्त महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की मवीआ सरकार होती तो आलम कुछ इस प्रकार से होता कि किसानों के हित में सेंगोल की प्रतिकृति लेकर भाजपा के 105 विधायक सड़कों पर बवाल काटते मीडिया बड़ा आंदोलन खड़ा करता वगैरह वगैरह। कपास के गिरते हुए दरों को लेकर शिंदे-फडणवीस सरकार के विरोध में विपक्ष हर रोज कहीं ना कहीं आंदोलन कर रहा है लेकिन सरकार के किसी भी मंत्री के मुंह से इस कपास को लेकर एक शब्द भी नहीं निकल रहा है। NCP जलगांव में मंत्री महाजन से एक ही सवाल पूछ रही है कि उन्होंने 2012 में कपास को सात हजार का दर मांगा था आज 11 साल बाद उनकी सरकार के रहते 6500 मिल रहा है, आखिर मंत्री जी चुप क्यों हैं? धरना प्रदर्शन में नेता गुलाबराव देवकर ने आरोप लगाया कि बालू माफियाओं को मंत्री गुलाबराव पाटिल का संरक्षण है। इसके पहले जामनेर में NCP की ओर से संपन्न अनशन में एकनाथ खडसे ने मंत्री गिरीश महाजन के अतीत से जुड़ा सार्वजनिक जीवन का पन्ना पलटा तो महाजन और उनके समर्थक आगबबूला हो गए। कपास और बेमौसमी बारिश से चौपट फसलों की नुकसान भरपाई को लेकर शिंदे-फडणवीस सरकार पूरी तरह से फेल हो चुकी है। इस नाकामी पर पर्दा डालने का सबसे आसान तरीका है धार्मिक आयोजनों की भरमार। आम जनता को जल्द ही इसकी अनुभूति होगी।


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading