सरवर खान जरीवाला, भोपाल, NIT;
रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर जेल में बंद कैदियों से मिलने आये परिजनों को अजी दौर से गुजरना पड़ा। यहां मुलाकाती के हाथ के चेहरे पर ऐसी मुहर लगा दी गई जैसे वो भी एक अपराधी ही हो हालांकि ऐसा इस लिए किया जाता है ताकि कोई कैदी भीड़ का फायदा उठाकर फरार न हो जाए।
यह मामला मीडिया में आने के बाद मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने इस मामले में संज्ञान लिया है और जेल महानिदेशक से सात दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने इस घटना को अमानवीय व मानव मूल्यों के विरूद्ध बताया है उसके अनुसार इसमें बच्चों के मौलिक व मानवाधिकारों का हनन हुआ है।
आयोग ने इस तरह की प्रथा को तत्काल बंद किये जाने की सिफारिश की है। आयोग ने घटना के सिलसिले में साफ कहा है कि चेहरे पर सील लगाकर बच्चों के गरिमा के अधिकार को छीना गया है और उन्हें मानसिक रूप से प्रताडित किया गया है। आयोग ने इसके लिए पीडितों को 10 हजार रूपये की राहत राशि देने की अनुशंसा किए जाने की मांग की है। आयोग ने पीडितों के नाम और पते की जानकारी भी चाही है।
दरअसल, जेल में कैदियों से मिलने के लिए पहुंचने वाले परिजनों या परिचितों के हाथ पर मोहर लगाई जाती है। यह पहचान के लिए लगाई जाती है, ताकि कोई कैदी भीड़ का फायदा उठाकर बाहर न निकल जाए, लेकिन जेल कर्मियों ने रक्षाबंधन त्यौहार के दिन पिता से मिलने आए बच्चों के हाथ के बजाए चेहरे पर ही मोहर लगा दी, जिसको लेकर विरोध शुरू हो गया है।
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