आईजी की कार्रवाई के एक महीने बाद एक्शन में एलसीबी, जामनेर से 3 लाख रुपए का गुटखा ज़ब्त | New India Times

नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

आईजी की कार्रवाई के एक महीने बाद एक्शन में एलसीबी, जामनेर से 3 लाख रुपए का गुटखा ज़ब्त | New India Times

बजट सत्र में कानून व्यवस्था को लेकर NCP विधायक एकनाथ खडसे द्वारा ED सरकार पर किए तीखे हमलों के बाद IG ने मंत्री गिरीश महाजन के गृह निर्वाचन क्षेत्र से 60 लाख रुपए का गुटखा पकड़ा था, तब Local crime Branch की सुस्ती पर कई सवाल खड़े हुए थे उसी सुस्ती को झटकते हुए एक महीने बाद LCB ने जामनेर में छापामारी की जिसमे 3 लाख रुपए का गुटखा बरामद किया गया। LCB प्रमुख किसन नजन पाटिल की टीम ने जामनेर के ओम शांति नगर स्थित नितिन सुरेश सुराणा के बंगले पर दस्तक दी और खोजबीन में 3 लाख रुपए का माल हिरासत में लिया गया। जिस नितिन पर धारा 272, 273, 328 के तहत फौजदारी दायर की गई वो भगवा पार्टी का शुभचिंतक है। यहाँ एक बात नोट करने जैसी है जामनेर में यह जो कार्रवाई की गई है वह स्थानीय पुलिस ने नहीं की बल्कि LCB ने की है।

आईजी की कार्रवाई के एक महीने बाद एक्शन में एलसीबी, जामनेर से 3 लाख रुपए का गुटखा ज़ब्त | New India Times

अब स्थानीय पुलिस को सुराणा के बारे में कुछ पता न हो ऐसा तो नहीं हो सकता। जलगांव और दोनों मंत्रियों के निर्वाचन क्षेत्र और गृह नगरों में अवैध धंधों पर कार्रवाई करने के लिए IG को लोकल पुलिस के बजाये आधिकारिक तौर पर विशेष उड़नदस्तों का मुकम्मल गठन कर देना चाहिए। नितिन मूल रूप से बाहरी है वो कई मौकों पर भगवा पार्टी के इवेंट में लोकल और VIP नेताओं के साथ देखा गया है। यही नहीं वह किसी पुलिस बॉयज नामक संगठन के अध्यक्ष के तौर पर SP से लेकर PI तक के तमाम अधिकारियों के साथ फोटो खिंचवाकर अपनी प्रतिष्ठा को धार देता रहा है। पुलिस के बड़े अधिकारी भी बिना किसी संकोच के नितिन के साथ फोटो खिंचवाते रहे मानो की वो कोई सेलेब्रिटी हो। राजनीती के सहारे NGOs के बैनर के नीचे झूठी शान का आडंबर खड़ा कर जमाखोरी तस्करी मिलावटखोरी जैसे अपराधों को अंजाम देकर पैसा कमाना यही अंधभक्तों का असली चरित्र है। हमने New India Times में गुटखे को लेकर जितनी भी स्टोरीज की उसमें एक बात की ओर इशारा किया था कि गुटखे का केंद्र पाचोरा में है जिसका सरगना चोपड़ा का रहने वाला है वो अभी भी LCB से कैसे बचा हुआ है, क्या LCB के भीतर जो कर्मी हैं उनकी किसी नेता को को लेकर परोपकार वाली भूमिका है जिसके चलते LCB किसी ठोस कार्रवाई से बचती नजर आ रही है। बहरहाल मध्यप्रदेश से चलने वाले गुटखे के इस रैकेट के चक्कर में पूर्व LCB चीफ़ किरण कुमार बकाले के प्रकरण को अलग दिशा देकर भुन दिया गया था उसकी भी अब तक कोई जांच नहीं हुई है। बजट सत्र में खड़से ने जिस सरंगल नाम के पुलिस अधिकारी पर तबादलों मे 5 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप किया उस मामले की कोई जांच नहीं हो रही है।


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By nit

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