नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

NRHM द्वारा जामनेर उपजिला अस्पताल में डेढ़ करोड़ रुपए के फंड से बीते तीन साल से बन रही सरकारी नेत्र चिकित्सालय की इमारत अब बनकर तैयार हो चुकी है। अस्पताल की पुरानी इमारत को जोड़कर बनाई गई एक इमारत में ठेकेदार ने पैसे की खूब बचत की जो सीधे उसके जेब में गई, वहीं दूसरी इमारत के फाउंडेशन में लोहे के कोटेशन में गड़बड़ी की गई, फाउंडेशन खड़ा करने के बाद मुख्य पिलर को नीचे से जोड़ने वाले सहायक बीम आधे लोहे और आधे ईंट से भरकर कांक्रीट डालकर पोत दिए गए हैं। इमारत के लिए सीधे केंद्र सरकार के स्वास्थ मंत्रालय की ओर से फंड आबंटित किया गया है जिसके चलते राज्य सरकार के संबंधित अधिकारी किसी राजनीतिक प्रभाव के दबाव में अपनी भूमिका से बचते नजर आए हैं।

New india time’s ने इस मामले को लेकर तीन स्टोरीज प्रकाशित की जिसके बाद निर्माण का दर्जा कुछ हद तक सुधरा था। इस काम का टेंडर किसी भंगाले नाम के विकासक ने लिया है जो अपने ऑफिस में बैठकर कमीशन बेस पर सब ठेकेदार से काम पूरा करवा चुका है। सूत्रों के मुताबिक 1 मई को तमगाधारी आरोग्यदूत मंत्री गिरीश महाजन के हाथों इस इमारत का फीता काटकर लोकार्पण किया जाना है। लोकार्पण के बाद नेत्र विभाग के लिए आवश्यक डॉक्टर, लैब असिस्टेंट, नर्स, स्वीपर वगैरह तमाम तरह की रिक्तियों को भरने से लेकर तकनीकी मशीनों की जरुरतों की पूर्ती के लिए नई सरकार के गठन का इंतजार करना पड़ सकता है। विधानसभा में जामनेर निर्वाचन क्षेत्र का बीते तीस साल से प्रतिनिधित्व करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा में नए नए शामिल हुए कुछ मुंहबोले वाकपटु सोशल मीडिया पर विपक्ष से एम्बुलेंस की मांग करते नजर आते हैं उन्हें इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि 108 फ्री एम्बुलेंस सर्विस कांग्रेस के राज में बहाल की गई थी।
कपास 8 हजार पार
10 से 12 हजार के दर की उम्मीद पर घर मे रखी कपास को किसानो को 8 से 9 हजार के बीच बेचना पड़ा है। बजट सत्र में इस मसले पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। CM, DCM आधा अधूरा मंत्री मंडल धार्मिक अजेंडे को हवा देने के लिए पर्यटन पर रहा। किसान, मजदूर, मिडल क्लास को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की प्रतीक्षा है जिससे सूबे में पैदा हुआ संवैधानिक पेच ख़त्म होकर सारा पिक्चर साफ हो जाएगा।
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