अबरार अहमद खान/मुकीज खान, भोपाल (मप्र), NIT:
अखिल भारतीय बिजली उपभोक्ता एसोसिएशन का प्रथम अखिल भारतीय सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। 8 अप्रैल को सम्मेलन का खुला अधिवेशन नीलम पार्क में एवं 9 अप्रैल को इसका प्रतिनिधि अधिवेशन गांधी भवन में आयोजित किया गया। जिसमें 17 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में बिजली के निजीकरण को रोकने, बिजली कानून 2003 औऱ बिजली संशोधन विधेयक 2022 को रद्द करने, प्रीपेड स्मार्ट मीटर की नीति वापस लेने, आम उपभोक्ताओं की सब्सिडी बरकरार रखने सहित 14 सूत्रीय मांगें केंद्र व राज्य सरकार के समक्ष रखी गईं। प्रतिनिधि अधिवेशन में उपस्थित समुदाय को संबोधित करते हुए संगठन के अखिल भारतीय अध्यक्ष सपन घोष ने कहा कि देश भर में केंद्र सरकार व विभिन्न राज्यो की सरकारें बिजली को निजी कंपनियों के हवाले कर रही हैं। बिजली जो कि एक सेवा क्षेत्र है और बिना नुकसान-बिना मुनाफा की तर्ज पर सरकार द्वारा संचालित किया जाता रहा है को अब पूंजीपतियों के मुनाफे के लिए खोला जा रहा है। नतीजतन बिजली के दाम तेजी से बढ़ेंगे और आम अवाम पर महंगाई की ये मार और निर्मम हो जाएगी। लाखों की संख्या में नौकरियाँ खत्म हो चुकी हैं और निजीकरण के बाद करोडों नौकरियां एक झटके में खत्म हो जायेंगी। बिजली आज की आधुनिक सभ्यता की बुनियादी जरूरत बन चुकी है एवं यह उपभोक्ताओं को निःशुल्क उपलब्ध कराई जानी चाहिए। लेकिन सरकार पूंजीपतियों को तो सस्ती बिजली उपलब्ध करा रही है लेकिन जनता के लिए बिजली के दाम बढ़ाती जा रही है और अब जनता की गाढ़ी कमाई से बने बिजली विभाग को कौड़ियो के दाम पर निजी कम्पनियों को सौंप रही है। प्रीपेड मीटर के माध्यम से बिजली बिल को कमर्शियल किया जा रहा है और सब्सिडी खत्म की जा रही है। इसके खिलाफ उपभोक्ताओं की एकता और एक मजबूत संघर्ष की आवश्यकता है।
यह सम्मेलन इस लड़ाई में मील का पत्थर साबित होगा ऐसी अपेक्षायें हैं। सम्मेलन में नई अखिल भारतीय कमेटी का भी गठन किया गया। जिसमें श्री सपन कुमार घोष अखिल भारतीय अध्यक्ष, श्री समर सिन्हा कार्यकारी अध्यक्ष, श्री के वेणुगोपाल अखिल भारतीय महासचिव चुने गए। अखिल भारतीय कमेटी में बी एल उमराव जी, नरेन्द्र भदौरिया, लोकेश शर्मा व रचना अग्रवाल मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे। आंदोलन को पूरे देश में तेज़ करने के संकल्प के साथ सम्मेलन का समापन हुआ।
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