नर्मदापुरम संभाग कमिश्नर उमाकांत उमराव ने नदियों के महत्व पर डाली रोशनी | New India Times

जितेंद्र वर्मा, हरदा ( मध्यप्रदेश ), NIT; ​

नर्मदापुरम संभाग कमिश्नर उमाकांत उमराव ने नदियों के महत्व पर डाली रोशनी | New India Timesबहता हुआ पानी नदी नहीं है, नदी उससे कुछ अलग है।पानी की शुद्धता क्या है और पवित्रता क्या होती है? पेड़ की जुड़े आवश्यक हैं या उसका तना? नमामि देवी नर्मदे ,नर्मदा सेवा यात्रा पर हुई हरदा में यह यात्रा 20 जनवरी से 31 जनवरी तक करीब एक दर्जन घाट चिह्नित किये हैं। नर्मदा घाटों पर हो रही तैयारी को लेकर  कार्यशाला में क्लास लेते हुए एक शिक्षक की तरह नर्मदापुरम संभाग कमिश्नर उमाकांत उमराव ने नदियों के महत्व को समझाया। हरदा टिमरनी- ब्लाक मुख्यालय पर शुक्रवार को वन विभाग के नीलामी हाल में नमामि देवी नर्मदे नर्मदा सेवा यात्रा को लेकर अधिकारी, जनप्रतिनिधि और सामजिक संगठन, आमजन को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें नर्मदापुरम संभाग के कमिश्नर उमाकांत उमराव शामिल हुए। ​नर्मदापुरम संभाग कमिश्नर उमाकांत उमराव ने नदियों के महत्व पर डाली रोशनी | New India Timesअपने विचार रखते हुए कमिश्नर उमराव ने कहा कि जल संरक्षण से ही जुडी है नदी। सिर्फ बहता हुआ पानी ही नदी नहीं है, नदी उससे कुछ अलग होती है। जिस तरह से एक पेड़ होता है और उस पेड़ की जड़ें महत्वपूर्ण होती हैं यदि पेड़ की जड़ें अलग कर दी जाएं तो वह सुख जायेगा। उसी तरह यदि हम अन्य नदी, नालों का संरक्षण नहीं करेंगे तो अन्य बड़ी नदियां की स्थिति भी वैसी ही हो जाएगी। नर्मदा या गंगा को बचाना है तो हमें उनकी सहायक नदियों पर भी ध्यान देना होगा, क्योंकि नदी एक परिवार है। उन्होंने कहा कि पानी की शुद्धता का महत्व है या उसकी पवित्रता का महत्व है। आज बोतलों में बंद पानी मिल रहा है जिसे भी शुद्ध कहा जाता है लेकिन उस पानी से स्नान नहीं किया जाता। नर्मदा को हमें शुद्ध नही पवित्र बनाना है। उन्होंने कहा कि वह नहीं जानते कि नर्मदा स्नान से पुण्य मिलता है या नहीं लेकिन उसे पवित्र बनाने का काम कर लिया जाता है तो आने वाली पीढ़ी को अच्छा संसार, अच्छा जीवन जरुर मिल सकता है यह बात पक्की है।​नर्मदापुरम संभाग कमिश्नर उमाकांत उमराव ने नदियों के महत्व पर डाली रोशनी | New India Timesकमिश्नर उमराव ने बताया कि करीब पचास साल पहले नर्मदा में 41 प्रकार के औषधि पेड़-पौधे पाए जाते थे,  जो अब या तो विलुप्त हो गए या उनकी संख्या बहुत कम रह गई है। नर्मदा नदी में ही लगभग 77 प्रजाति की मछलियां भी पायी जाती थीं। इनकी संख्या भी घटकर 50 या 52 के करीब बची है। शासन ने नर्मदा में पायी जाने वाली ऐसी ही एक मछली बाडस को राज्य मछली का दर्जा दिया है। यह मछली नर्मदा नदी की सफाई में सहायक होती थी। इसकी संख्या भी बहुत कम रह गई है


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading