अविनाश द्विवेदी, भिंड ( मप्र ), NIT; लहार एसडीओपी अवनीश बंसल ने आज कुछ WhatsApp ग्रुप पर फर्जी पत्रकारों और छुटभैए नेताओं पर सख्त टिप्पणी की है। एसडीओपी ने लिखा है कि “पुलिस की सक्रियता के चलते रेत माफियाओं में हड़कंप दलाला भूखों मरने की स्थिति में है”
इस हैडिंग के साथ लिखी गई एक टिप्पणी में एसडीओपी ने यहां तक लिख दिया है कि अब फर्जी पत्रकार थानेदारों के पास जाकर टमाटर के लिए पैसे मांग रहे हैं।एसडीओपी यहीं नहीं रुके उन्होंने छुटभैए नेताओं पर भी खुला तंज कसा है और कहा है कि खुद रेत के कारोबार में लिप्त नेता पुलिस पर झूठे आरोप लगा रहे हैं।
ज्ञात हो कि एसडीओपी अवनीश बंसल काफी लंबे समय से लहार में पदस्थ हैं और पिछले दिनों कांग्रेस विधायक डॉक्टर गोविंद सिंह ने सीधा हमला बोलते हुए एसडीओपी पर रेत के काले कारोबार में लिप्त होने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि एसडीओपी अपने ड्राइवर के माध्यम से रेत के काले कारोबार में लिप्त हैं। इसके बाद में जिले में एक ऑडियो भी वायरल हुआ था, जिस ऑडियो में पत्रकार और पुलिस के बीच में रेत के काले कारोबार को लेकर बातचीत दिखाईईगई थी। यह वही एसडीओपी है जिन्होंने अटेर चुनाव के समय एक अर्धसैनिक बल के जवान को चुनाव में धांधली रोकने पर समझाया था की तुम्हें क्या पड़ी थी ऐसा करने की, यह भिंड है यहां पर तुम्हारे साथ कुछ भी हो सकता है। अब यह तो समग्र जांच के बाद ही पता चलेगा की रेत के काले कारोबार में असली दोषी खाकी है खादी है या फिर कोई झूठी भाषा लिखने वाला कलमकार है, लेकिन एसडीओपी की इस टिप्पणी ने नेताओं और पत्रकारों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर जनता की आवाज उठाने से पहले क्या वे खुद दूध के धुले हैं। हालांकि एसडीओपी ने जो टिप्पणी की है वह फर्जी और दलाल किस्म के बिना मान्यता प्राप्त पत्रकारों के संदर्भ में की है।
ज्ञात हो कि आज ही कॉंग्रेस विधायक हेमन्त कटारे और जिला ध्यक्ष रमेश दुबे के द्वारा भी पुलिस पर काफी गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
- क्या लिखा एसडीओपी ने….
“पुलिस की सक्रियता के कारण रेत माफियाओ में हडकंप, दलाल अब भूखे मरने की स्थिति में हैं। भिंड जिले में ऐसे कितने पत्रकार है, जिनका जनसंपर्क विभाग भिंड में कोई रिकार्ड नहीं है और न ही इन पत्रकारों का किसी समाचार पत्र से संबंध नहीं है और न ही किसी भी चैनल के लिए कार्य करते हैं, मगर रेत के अवैध कारोबार से जुड़े हुए हैं जो शोसल मीडिया के द्वारा पुलिस पर अपना रूतवा गांठने और अनर्गल मिथ्या आरोप लगाकर अपने आप को पत्रकार साबित करना चाहते हैं, ऐसे फर्जी पत्रकारों की भिंड जिले में बरसात के आने से पहले ही बाढ़ आ गई है, जो दिन रात भिंड शहर की और जिले की सड़कों और गलियों में घूमघूमकर पत्रकारिता के व्यवसाय को कलंकित करने का कार्य कर रहे हैं। ऐसे फर्जी तथाकथित दलाल पत्रकार जिले के कई स्थानों पर समोचा कचौडी खाने के नाम पर अवैध रेत माफियाओ के शोसल मीडिया पर प्रवक्ता बन गए हैं, जो रेत माफियाओ के कहने पर एवं जिले के अंदर कई वर्षों से अवैध रेत के कारोबार से जुड़े हुए हैं। भिंड पुलिस ने ऐसे तथाकथित फर्जी पत्रकारों के रेत के कारोबार से जुड़े तमाम प्रकार के टैक्टर ट्रालियों और अन्य वाहनों पर पुलिस ने पूर्ण रूपेण अंकुश लगाया है, जिससे तथाकथित फर्जी पत्रकार अपने घरों में बनने वाली सब्जी के लिए टमाटर नहीं खरीद पा रहे हैं और जिले के थानों में पहुंचकर थानाप्रभारियों से टमाटर और गोभी के लिए पैसे माँगने का कार्य करते हैं। इन तथाकथित फर्जी पत्रकारों के स्वार्थों की पूर्ति नही हो पाने के कारण भिंड जिले की पुलिस पर आरोप लगाने का इनके द्वारा सिलसिला जारी है। क्योंकि इन खरपतवारों को भिंड का खनिज महकमा पाल रहा है। और प्रशासन के अंदर कांचुरी में बैठे लोग भी इन्हें पालने का कार्य कर रहे हैं और इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। इन खरपतवारों से अपनी वाहवाही व सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का कार्य कराया जा रहा है। चंबल घाटी में जबसे भिंड जिला बना है तभी से रेत का कारोबार अपनी गति से चल रहा है। पुलिस पर दाग लगाने वाले छुटभैया नेता पहले अपने ऊपर लगे दाग को मिटाए, जिनके ऊपर स्वयं दाग लगा हो वो दूसरों के ऊपर क्या दाग लगाएगे, पुलिस के ऊपर दबाव बनाकर अपनी रोजी रोटी चलाने वाले लोगों से आग्रह है कि जिनके घरों में रेत माफियाओ की दम पर जो कांच के शीशे लगाए गए हैं वो लोग उन शीशों को संभालकर रखें, जिनके घरों में कांच के शीशे लगे हैं वो लोग खाकी के घरों में पत्थर फेंकने का कार्य नहीं करें। पुलिस की सक्रियता के कारण इन दिनों रेत माफियाओ में हडकंप मचा हुआ है।”
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