नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
कपास, सोयाबीन, तुवर, चना इत्यादी फसलों के MSP को लेकर पूरे राज्य में विपक्ष की ओर से धरने दिए जा रहे हैं। MVA प्रमुख उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना की ओर से जलगांव जिला प्रमुख दीपक राजपूत के नेतृत्व में जामनेर तहसील कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया गया। इस आंदोलन से राज्य की एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस (ED) सरकार पर किसान विरोधी नीतियों को अमल में लाने का आरोप लगाया गया। वक्ताओं ने मार्गदर्शन में कहा कि 2014 की फडणवीस सरकार के समय दी गई ऋण माफी व्यवहार में 15 हजार करोड़ रुपये का घपला किया गया है। उद्धव ठाकरे के CM रहते किसानों के हित में लिए गए सभी फैसले ED सरकार ने रद्द कर दिए। कपास को मात्र 8 हजार रुपये का मूल्य मिल रहा है जिस पर सरकार चुप है। 2012 में कपास MSP के लिए 14 दिन तक आमरण अनशन करने वाले मंत्री गिरीश महाजन आज गायब हो चुके हैं! मंच पर ज्ञानेश्वर बोरसे, राहुल चव्हाण, प्रकाश पाटील, पवन माली, सांडु गुरव, नरेंद्र धुमाल समेत अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।
ज्ञात हो कि आज ही के दिन सूबे के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जलगांव जिले के चोपड़ा और परोला के दौरे पर थे जहाँ उनको उद्धव ठाकरे गुट के विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा।
बिजली पानी जैसे मुद्दों से ऊपर नहीं उठ पा रही राजनीति
महाराष्ट्र की राजनीति में 1995 मे भाजपा शिवसेना युती के सरकार में आने के बाद से अब तक किसान और किसानी से जुड़ी समस्याएं हमेशा केंद्र में रही है। विज्ञान, तकनीक, अनुसंधान से संतुलित विकास की संयमी राजनीति करने वाली कांग्रेस को सत्ता के लिए किसानो के मुद्दों को लेकर सड़क से सदन तक लड़ाई लड़ना पड़ी। 1990 के बैच मे किसानो को लेकर सड़क पर उतरने वाले भाजपा के कई ऐसे गरीब नेता थे जो 1995 के आम चुनाव मे लगी लॉटरी के बाद से लगातार जीतते आए और आज वर्तमान सरकार मे धनकुबेर बन चुके है। यह नेतागण आज भी केवल और केवल अपनी विधानसभा सीट को बचाने के लिए सिंचाई , बिजली , पानी , खाद , यातायात , MSP जैसे मुद्दो को लेकर आंदोलन करने मे माहीर है ! अगर इन नेताओ के भीतर अपने काम के प्रति जरा सी नैतिकता और ईमानदारी होती तो वह आज पश्चिम महाराष्ट्र की तरह कृषी क्षेत्र की कारपोरेट सेक्टर से जुड़ी राजनीति करते नजर आते जिससे राजनीति की प्रतिष्ठा बढ़ती साथ हि खान्देश को समग्र विकास की ओर आगे बढ़ने मे नई दिशा मिलती।
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