नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मिलने वाले मासिक राशन वितरण में दुकानदारों द्वारा की गई धांधली की NIT ने रिपोर्ट पेश करने के बाद प्रशासन की ओर से जांच की जिम्मेदारी की स्वीकृति बननी चाहिए थी जो नहीं बन सकी है। PMGKY के ऑनलाइन वितरण में दुकानदारों की संघटित मनमानी सौ फीसदी साबित होगी! जिले के सभी तहसीलों में राशन वितरकों ने बायोमेट्रिक मशीन में कार्ड धारकों के अग्रिम अंगूठे लेकर नवंबर, दिसंबर 2022 का फ्री दिसंबर 2022 का रेगुलर, जनवरी 2023 के फ्री राशन बांट दिया है जिसमें से आधा गेंहू चावल दुकानदारों ने ही हड़प कर लिया है। क्या हड़प किया गया गरीबो के हक का माल उन्हे लौटाया जाएगा सिस्टम मे इतनी नैतिकता शेष है भी या नहीं। गूगल पर सरकारी GPPDS मे सब कुछ ऑल इज वेल है असल में जमाखोरी और कालाबाजारी की जा चुकी है। वितरकों की इस सोची समझी लूट का सबसे अधिक शिकार बना है गरीब अल्पसंख्यक समुदाय का कार्ड धारक! कुछ दुकानदारों ने तो अल्पसंख्यकों को उनके नाम से चिन्हीत कर उनके परिवार के मुंह का निवाला छीना है। सैकड़ों केसरी कार्ड ऐसे हैं जो बरसों पहले बन चुके हैं लेकिन आज तक उनके हिस्से का राशन यह कहकर नहीं दिया गया कि उसका कोटा मंजूर नहीं हो सका है। दुकानदारों द्वारा कार्ड धारकों के बीच खेला जा रहा यह खेल डर का खेल है जिसमें शोषण करने वाले की ओर से शोषित को कहा जाता है कि जो राशन दिया गया है उसे ले लो वरना सूची से ही नाम काट देंगे। आज मार्केट में नया गेहूं आने को और दो महीने बचे हैं व्यापारी बीते साल का माल 25 से 35 रुपए किलो बेच रहे हैं। उक्त तरीके से ऐंठा गया राशन का माल निजी मार्केट में कालाबाजारी के जरिये 15 रुपए किलो से सरकाया जा रहा है।
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