नरेन्द्र कुमार, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
महाराष्ट्र में जब से शिंदे-फडणवीस सरकार बनी है तब से सरकार में शामिल भाजपा के नेताओं और मंत्रियो द्वारा राज्य के प्रेरणादायी आदर्श माने जाते युगपुरुषों और समाज सुधारकों को लेकर उनकी बदनामी हो ऐसी बयानबाजी की जा रही है। इस कड़ी में पहले तो राज्यपाल फ्रंटफुट पर थे। भाजपा संगठन के संकट मोचक और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी गिरीश महाजन ने किसी चैनल के सामने शिवाजी महाराज का ज़िक्र अदब से करने के बजाये बेअदबी से कर दिया। जैसे ही यह खबर मीडिया में चलने लगी वैसे कैमरे के सामने आकर महाजन ने अपनी गलती मानते हुए माफी भी मांगी। कहा कि “मुझे ऐसा लगता है की विपक्ष के पास कोई काम नहीं बचा है, किसी की भी गलती पकड़कर उसके खिलाफ आंदोलन करना यह तरीका ठीक नहीं है”। महाजन के माफी मांगने के बाद भी उनके गृह नगर जामनेर में NCP ने सड़क पर उतरकर मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए मंत्री जी का पुतला फूंका। NCP नेता संजय गरुड़ ने कहा कि जनता की मुख्य समस्याओं से ध्यान भटकाने और सरकार की नाकामी को छिपाने के लिए भाजपा के लोग महापुरुषों का अपमान करने में जुटे हुए हैं! हम सब मवीआ की ओर से यह मांग करते है कि मंत्री जी इस मामले पर सार्वजनिक रूप से महाराष्ट्र की जनता से माफी मांगें।
आंदोलन में NCP से विलास राजपूत, किशोर पाटील, अरविंद चितोड़िया, कांग्रेस की ओर से शंकर राजपूत, एस टी पाटील, रऊफ शेख। शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट की ओर से एडवोकेट ज्ञानेश्वर बोरसे, राहुल चव्हाण समेत शिवप्रेमी नागरिकों ने शिरकत की। ज्ञात हो कि दिसंबर 2022 में मवीआ के सभी दलों ने महापुरुषों के सम्मान में महामोर्चा का यशस्वी राज्यव्यापी आंदोलन किया था! आशा थी कि इस मोर्चा के बाद सरकार विपक्ष को मौका नहीं देगी लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। किसी भी पार्टी का कोई भी शख्स कार्यकर्ता रहते महापुरुषों के जयंती महोत्सवों को लेकर जनता के बीच अपनी सर्वसमावेशी और वैचारिक छवि बनाता है, इसी छवि के सहारे जनाधार की बदौलत जब कोई कार्यकर्ता जो अभिनेता भी है वह अभिनेता से नेता फिर लोकनेता और फिर राजनेता बनता है तब सब कुछ अचानक से बदल सा जाता है। एक बात साफ हो चुकी है कि सूबे में आगामी जितने भी चुनाव होने हैं वो NCP की ओर से बहुजन अस्मिता को लेकर लड़े जाएंगे।
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