मोहम्मद तारिक, भोपाल, NIT; लोग बकवास करतें हैं, विकास के नाम, सामाजिक उत्थान के नाम, शिक्षा के नाम, देश की आंतरिक सुरक्षा में खतरा और न जाने क्या क्या। मोदी योगी सहित भाजपा शासित राज्यों पर दोषारोपित उनके कथन ! 60 वर्ष के आपके सेकुलरता का प्रमाण जो मांग रहा एक भारतीय मुसलमान कि हमारे पिता दादा कर रहें थे मादर ए वतन पर अपनी जान निछावर और होते रहें दंगें पंगें, 1949 में नेहरू शासन और राजीव शासन काल मे क्यों खुलवाया था बाबरी मस्जिद का ताला? कश्मीर मामला क्यों कैसे कब से उलझा सुलगा हुआ ! कश्मीरी नागरिकों में कशमीरी पंडित हों या मुसलमान सहित शहीद हुये वीर जवान केसे ? उन 60 बरस के सेकुलर शासन कालों का खज़ाने का हिसाब किताब अवश्य बतलाना जो आरोप लगे स्विस बेंक खातों के तो क्यों रहें चुप क्यों नही खटखटाया न्यायालय का दरवाज़ा ? स्वतंत्रता के सात दशक बाद भी अशिक्षा, अधूरा विकास, बेरोज़गारी और महंगाई पड़ रहीं आम जन पर भारी तो अब यह ज़रूर बतलाना अपना करा उद्धार की नही !
एनजीओ सामाजिक विकास नाम से रचित संघटन जो अपना विकास कर न सकें उनसे मेरा सवाल : सत्य बताना कभी किसी दूसरे की संतान को अपनी गाढ़ी कमाई से पढ़ना लिखना सिखाया, नंग बदन पर अपना कपड़ा डाल किसी गरीब का जिस्म छूपाया, अंधे को लाठी बीमार के इलाज मे कुछ अपना धन लगाया, खेलना चाह रहें ननहें मुन्ने खिलाड़ीयों को खेल सामग्री दिलाया, नही न.!!! खेल संस्थाओं के नाम से जुआ स्ट्टा खेल रहा नौजवान तबका …
“मानवता मर गई जी रहा बना फिरा घूम रहा हर दहलीज़ पर दर दर भटक रहा इंसान ! सवाल तो उन दहशतगर्दों से कि तुमने कितने बेगुनाह कशमीरी पंडितों को मार दिया और राजनीत की क्टपुतली बनी हुई सेना से दूर्वव्यवहार तो कहीं सेना का अत्याचार से भी इंकार नही ! हज़ारों बेगुनाह कशमीरी मारे गये इसमत भी लूटी गई न हों रहा इंसाफ !”
अगर आज नही तो कब भ्रामक मीडीया को जनता सड़कों पर सवाल पूछेगी कशमीर का मुद्दा था नही यह तो बनाया गया हुआ मुद्दा हैं जिसे 1947 में हमारे मादर ए वतन भारत का स्वार्थी तत्वों दुआरा धर्माधारित बंटवारा कर लिया अपने स्वार्थों को त्याग भारत को ही अपना मादर ए वतन मानने वाले भारतिय मुसलमानों का इतिहास बदल दिया इनको हर मौर्चौं पर विफल करने स्कूलों मे धार्मिक श्लोकों की अनिवार्यता और उर्दू भाषा को खत्म कर दिया जबसे और आज तक बांटते आ रहें कभी धर्म के नाम तो कभी जात तो कभी भाषाई-छेत्रवाद के नाम पर ….
“मैं जाना चाहता हूँ कशमीर सहित बहुत से अंतराष्ट्रिया राष्ट्रीय मुद्दों पर हूँ फिक्रमंद लेकिन लोग खुद न कुछ करतें और न करने देते साथ ही दूर दूर तक नज़र मेरी नही दिख रहा मुझे कोई एनजीओ या कोई सामाजिक संघटन जिसमे हो इंसान और इंसानियत के लिये दस का दम … देश आज़ाद हैं आज़ाद रहेगा ! हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई से आबाद हैं आबाद रहेगा ! कशमीर भारत का अभिन्न अंग हैं अंग ही रहेगा ! न माने पड़ोसी मुल्क तो फिर 1947 का पूर्व भारत बन कर रहेगा हिन्दोस्तान … !”
“अब यह तो वेचारिक द्वंद हैं !”
मो. तारिक
(स्वतंत्र लेखक)
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