दरोगा ने फौजी से मांगा ठंडा, फौजी ने सुनाई खरी खोटी, बैंक पासबुक खोने पर थाने की मोहर लगवाने गया था फौजी | New India Times

गुलज़ार अहमद, मैनपुरी ( यूपी ), NIT; ​दरोगा ने फौजी से मांगा ठंडा, फौजी ने सुनाई खरी खोटी, बैंक पासबुक खोने पर थाने की मोहर लगवाने गया था फौजी | New India Timesआखिर क्या कारण है कि पुलिस बिना पैसा लिये या बिना ठंडा पिये काम नही करना चाहती। ऐसे मामले तब सामने खुलकर आते हैं जब कोई उनका विरोध करता है, अन्यथा ऐसी स्थिति में आम आदमी तो पैसा और ठंडा पिलाये बिना जा ही नही सकता। ऐसा ही एक मामला थाना भोंगाव का उस समय सामने आया जब पासबुक खो जाने की मोहर लगवाने गए एक फौजी कमांडो से ही थाने का दरोगा ठंडा मांगने लगा।​दरोगा ने फौजी से मांगा ठंडा, फौजी ने सुनाई खरी खोटी, बैंक पासबुक खोने पर थाने की मोहर लगवाने गया था फौजी | New India Timesबताते चलें कि नगर के मोहल्ला जगत नगर निवासी ओमपाल सिंह जो कि जम्मू में कमाण्डो हैं, और इनकाउंटर स्पेशलिस्ट्स भी हैं। बैंक की पासबुक खो जाने पर जब वह एप्लिकेशन लेकर मोहर लगवाने थाना कोतवाली भोंगाव पहुंचे तो वहां मौजूद दरोग़ा ने मोहर लगाने के बदले में उनसे कहा कि ठंडा के लिए कुछ पैसे दो, जब उसने पैसे देने से इंकार किया तो कहा कि ठंडा ले आओ। जब उसने बताया कि मैं फौजी हूँ और इन्काउन्टर इस्पेशलिष्ट हूँ, तो कार्यालय में बैठा सिपाही बोला आप तो जॉब करते हो आपको मना नहीं करना चाहिए। फौजी कमांडो बोला तुम समाज की सेवा करते हो तो मैं भी देश की सेवा करता हूँ, मेरे पास कोई हराम का पैसा नहीं आता जो तुमको ठंडा पिलाऊँ। फौजी का गरम मिजाज देख दरोगा ने खामोशी से मोहर लगाकर दे दिया।

सवाल ये है कि जो देश की सुरक्षा के लिए हर समय सीना ताने खड़े रहते हैं, जब उनसे भी मोहर लगवाने के नाम पर सुविधाशुल्क मांगा जाएगा, तो आम आदमी का क्या हाल करते होंगे ये रिश्वत खोर। सरकार किसी की भी रही हो पर पुलिस विभाग हमेशा पैसा लेने के नाम पर बदनाम रहा है। क्या इनका तनख्वा से पेट नहीं भरता, मोहर आदि लगवाने के नाम पर भी 100 रुपए लिए जाते है। आखिर कब समाप्त होगी ये प्रथा?


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By nit

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