नरेंद्र कुमार, जामनेर/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत बने जामनेर नगर परिषद के कूड़ा रीसायकल प्लांट के बंद होने के कारण हर रोज 5 टन गिला सूखा कचरा प्रशासन की ओर से खुले आम जलाया जा रहा है। NIT ने इस विषय को लेकर ये सोचकर खबर प्रकाशित की थी की शायद अब कचरा नहीं जलाया जाएगा लेकिन इस कचरे के कूड़े में प्रशासन के हाथों प्रशासन द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और लापरवाही की दिव्य धूनी लगातार जल रही है। प्लास्टिक जलने से हवा में फैल रहा क्लोरोफ्लूरो अब पास ही स्थित कांग नदी के अधमरे के टी वेयर के पानी को प्रदूषित कर रहा है। पत्थर से बने इस के टी वेयर की अपनी एक कहानी है। एक हजार एकड़ जमीन को रबी सीजन में सींचने वाले इस वेयर के सारे दरवाजे जंग खा चुके हैं.

सारा पानी आगे वाघुर डैम में बह जाता है जिसे रोकने के लिए आसपास के किसानों ने खुद के जेब से पैसा खर्च कर प्लास्टिक पेपर्स से लीकेज ब्लाक करने की कोशिशे जारी रखी है. प्रशासन की मदद के बगैर वेयर में 2 महीने तक पानी ठहराया जाता है, वहीं संबंधित विभाग के अधिकारी वेयर के लितपोती के नाम पर हर साल लाखों रुपया जेब मे ठूस लेते हैं। सिंचाई मंत्री रहते गिरीश महाजन ने बलून बांधों के लिए सरकार से फंड मांगा था . काश उसके साथ साथ अधिकारियों से क्षेत्र के तमाम के टी वेयर्स की मरम्मत रखरखाव का हिसाब मांगा जाता तो आज किसानो की जेब नहीं कटती। के टी वेयर की दीवार से पानी के समतल स्तर पर दूर दूर तक डंपिंग ग्राउंड का कचरा तैर रहा है. कूड़े के कारण Air quality index के साथ साथ water quality index प्रतिदिन खराब हो रहा है। मामले मे सुधार को लेकर प्रशासन से कोई उम्मीद रखना मतलब भ्रष्टाचार से लिप्त सिस्टम से इकबाल ए जुर्म की आशा करने जैसा होगा . जनता के बीच नेता जी की मकबूलियत के तराने गाने वाले प्रचार – प्रसार फैक्टर इस समस्या को लेकर अपनी स्वामिभक्ति का परिचय दे रहे हैं।
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