नरेंद्र कुमार, जामनेर/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
केंद्र सरकार के स्वछ भारत अभियान और राज्य सरकार के घन कचरा प्रबंधन योजना के तहत करोड़ों रूपये की लागत से बनाया गया जामनेर नगर परिषद का कचरा प्रोसेसिंग यूनिट धूल खा रहा है। मशीनों पर जंग चढ़ गया है, उसके ठीक सामने कांग नदी किनारे खुली जगह पर बनाए गए डंपिंग ग्राउंड को नगर परिषद ने धुंआ उत्सर्जन करने वाला कारखाना बना दिया है। इस मैदान पर हर रोज शहर से जमा होने वाला गीला और सूखा इस प्रकार का करीब 5 टन कचरा फेंका जाता है फिर इसी कचरे को जलाया जा रहा है. कचरे में जलने वाले प्लास्टिक से निकलने वाला क्लोरोफ्लूरो नामक जहरीला धुंआ आसमान में इस कदर जम रहा है कि मानो कोहरा छाया हुआ हो।
डंपिंग ग्राउंड के 4 किमी दूर तक के इलाके में आसमान में धुंए की सफेद चादर बिछी हुई है। माकूल सिचाई व्यवस्था के कारण केला बागानो से समृद्ध ओझर, टाकरखेडा, समारोद इन गांवों की साफ हवा में इस प्रदूषण का जहर घुलने लगा है जिसका असर इंसानों के फेफड़ों के साथ साथ फसलों और उपजाऊ जमीन पर भी देखा जा रहा है। आज अगर इस इलाके का Air quality index (वायु गुणवत्ता सूचकांक) जांचा जाए तो 0 से 50 इस साधारण श्रेणी में आएगा लेकिन इसी तरह से ढेर से बचने के लिए कचरा जलाया जाता रहा तो यही ग्राफ़ भविष्य में यकीनन 200 पार करते देर नहीं लेगा। प्रोसेसिंग यूनिट में कचरे से कंपोस्ट खाद बनाने की योजना थी जो कागज पर पूरी कर दी गई है। निगम में बीते 7 सालों से भाजपा की सत्ता है जिसमें ढाई साल का पहला कार्यकाल गिरीश महाजन के मंत्री पद के प्रभाव में व्यतीत किया गया। आज भी वे मंत्री हैं और सत्ता के आशिर्वाद से निगम के सदन में भाजपा हीरो, विपक्ष जीरो ऐसी स्थिति है। इस दुर्लभ राजयोग में आम जनता मंत्री जी से यही अपेक्षा कर रही है कि जल्द से जल्द धुएं के इस खुले कारखाने को बंद करने की जहमत उठाई जाए।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.