गौमाता जख्मी हालत में घूमती रही मदद को नहीं आया कोई गोरक्षक, NIT संवाददाता अरशद आब्दी ने दोस्त के साथ मिलकर पुलिस की मदद से किया इलाज | New India Times

अरशद आबदी, झांसी ( यूपी ), NIT; ​गौमाता जख्मी हालत में घूमती रही मदद को नहीं आया कोई गोरक्षक, NIT संवाददाता अरशद आब्दी ने दोस्त के साथ मिलकर पुलिस की मदद से किया इलाज | New India Timesइस समय देश में जहां गोरक्षा के नाम पर भीड़ हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रही है और गोरक्षक गौवंश के नाम पर मरने मारने पर उतारू रहते हैं वहीं गायें इधर उधर मारी मारी फिरने व कचरे के ढेर में भोजन तलाश करते अक्सर दिखाई पडती हैं। कई गायें तो भूख, बीमारी आदि से दम तोड रहीं हैं जिसके तरफ न तो गोरक्षकों का ध्यान है और न ही गौवंश के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने वाले नेताओं का। केंद्र से लेकर प्रदेश तक सत्ता में बैठी बीजेपी जो अपने आप को गौवंश का सबसे बडा रक्षक मानती है, उसी के राज में आज गौवंश आवारा मारी मारी फिर रही हैं। न उनके भोजन की कोई चिंता है और न उनके इलाज का। ऐसा ही मामला झांसी शहर में देखने को मिला।​गौमाता जख्मी हालत में घूमती रही मदद को नहीं आया कोई गोरक्षक, NIT संवाददाता अरशद आब्दी ने दोस्त के साथ मिलकर पुलिस की मदद से किया इलाज | New India Timesझांसी शहर के पानी धर्म शाला के पास से NIT संवाददाता अरशद आब्दी गुजर रहा था कि उसकी नजर एक गाय पर पडी जो खून में लत पत थी। गौमाता की ऐसी हालत देखकर संवाददाता ने अपनी गाड़ी रोक दी और ग़ुलाम गौस खां यूथ बिग्रेड के रिज़वान राईन जो उनके मित्र हैं को फोन कर आगाह किया साथ ही इसकी सूचना फौरन पशु पालन विभाग दी और तत्काल डॉक्टर को पानी वाली धर्म शाला पर लेकर आने को कहा लेकिन वहां से कोई भी डॉक्टर नहीं आया। जब रिज़वान राईन पशु पालन हॉस्पिटल पहुँचे और सारी बात विस्तार पूर्वक बताई तो जवाब में कहा गया की अगर गाय पालने का इतना ही शौक है तो अपने घरों में पालो। यह जवाब सुनकर अरशद आब्दी एवं रिज़वान राईन निराश हो गए, और डायल 100 पर पुलिस को सूचना दी।​

गौमाता जख्मी हालत में घूमती रही मदद को नहीं आया कोई गोरक्षक, NIT संवाददाता अरशद आब्दी ने दोस्त के साथ मिलकर पुलिस की मदद से किया इलाज | New India Timesसूचना मिलते ही तत्काल शहर कोतवाली से पुलिस आ गई। वही दूसरी तरफ पत्रकार अरशद आब्दी इस बात को लेकर पशु पालन अस्पताल के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अशोक कुमार के पास पहुंचे तो उनका जवाब था की मेरे पास ऐसी कोई सूचना नही आई है, जबकि डायल 100  पुलिस ने खुद इस गौमाता के ज़ख्मी होने की सूचना दी थी। ​

गौमाता जख्मी हालत में घूमती रही मदद को नहीं आया कोई गोरक्षक, NIT संवाददाता अरशद आब्दी ने दोस्त के साथ मिलकर पुलिस की मदद से किया इलाज | New India Timesवहीं पशुपालन विभाग के निचले कर्मचारी को फोन किया तो उसने कह दिया कि मैं उस गाय का उपचार कर आया हूं, जबकि पुलिस वही मौजूद थीं और कोई उस ज़ख्मी गौमाता का उपचार करने नही आया था। तभी शहर पुलिस के आये दरोगा एवं सिपाहियों एवं अरशद आब्दी, रिज़वान राईन, मोहित महाजन ने बाजार से डिटोल एवं काटन  लाकर खुद गौमाता के जख्मों की सफाई की।​गौमाता जख्मी हालत में घूमती रही मदद को नहीं आया कोई गोरक्षक, NIT संवाददाता अरशद आब्दी ने दोस्त के साथ मिलकर पुलिस की मदद से किया इलाज | New India Timesअब सवाल यह उठता है कि मोदी व योगी राज में गौवंश के नाम जहां हिंसक घटनाएं हो रही हैं वहीं उसी गौमाता की यह हालत है कि कोई गोरक्षक व पशु चिकित्सक उनकी सुध लेन को तैयार नहीं है। क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी इन लापरवाह पशु चिकित्सकों पर कारवाई करेंगे या केवल गौवंश के नाम सिर्फ अपनी राजनीति चमकाते रहेंगे???


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