जमशेद आलम, ब्यूरो चीफ, भोपाल (मप्र), NIT:

राजधानी भोपाल के चिनार पार्क में ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स, ठेका अस्थाई कर्मचारी संयुक्त मोर्चा की प्रांतीय बैठक संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय संयोजक वासुदेव शर्मा की उपस्थित में संपन्न हुई, जिसमें सभी विभागों में काम करने वाले ढाई लाख आउटसोर्स कर्मियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों के प्रमुख नेता उपस्थित रहे। बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन 13 सितंबर को विधानसभा पर “आउटसोर्स प्रथा समाप्त कर विभागों में संविलियन कराने की एक सूत्रीय मांग को लेकर जंगी धरना प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें प्रदेशभर से 50 हजार आउटसोर्स कर्मी भाग लेंगे। बैठक में एमपीईबी की आउटसोर्स यूनियनों के प्रतिनिधि के रूप में मनोज भार्गव, युवा आउटसोर्स कर्मचारी संघ के अध्यक्ष दीपक सिंह, कृषि विभाग से प्रकाश, शिक्षा विभाग के प्रकाश यादव, मंत्रालयों के आउटसोर्स कर्मियों की ओर से अखिलेश, स्वास्थ्य विभाग के संतोष सहित टूरिज्म, महिला बाल विकास, ग्रामीण विकास विभाग प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। आउटसोर्स कर्मियों के विधान सभा घेराव को कामगार कर्मचारी कांग्रेस के प्रांतीय उपाध्यक्ष एवं इंटक के प्रांतीय सचिव के के नेमा ने भी बैठक में उपस्थित होकर समर्थन दिया।
आउटसोर्स प्रथा समाप्त कराने की एक सूत्रीय मांग को लेकर 13 सितंबर को विधानसभा पर होने वाले प्रदर्शन की तैयारियां आउटसोर्स कर्मियों के बीच प्रदेशभर में शुरू हो चुकी हैं, भोपाल में 25 हजार से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी हैं, इनके बीच बैठकें कर प्रदर्शन में शामिल कराने की जिम्मेदारी दीपक सिंह, अखिलेश ने ली, उन्होंने कहा कि कल से विभाग वार बैठकें करके आउटसोर्स कर्मियों से प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की जाएगी। मनोज भार्गव ने बिजली विभाग के आउटसोर्स संगठनों की बैठक कर अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी कराने की जबावदारी ली।
बैठक को संबोधित करते हुए ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय संयोजक वासुदेव शर्मा ने कहा कि मप्र सरकार नौकरियों आउटसोर्स, ठेका प्रथा लागू करके रोजगार की गुणवत्ता को समाप्त कर दिया है, इन नौकरियों में न तो सम्मानजनक वेतन मिलता है न ही रोजगार में स्थायित्व है। नौकरी से निकाल दिया जाना, वेतन न देना आम बात हो गई। उन्होंने कहा कि आउटसोर्स, ठेका की नौकरी कर रहे ढाई लाख शिक्षित युवा अंतहीन अन्याय के शिकार है, ऐसा अन्याय शायद अंग्रेजी शासन में भी कामगारों के साथ नहीं होता होगा लेकिन भाजपा की शिवराज सरकार यह कर रही है।
वासुदेव ने कहा कि आउटसोर्स कर्मी सरकार के सारे काम करते हैं, वे मंत्रालयों में हर महत्वपूर्ण काम करते हैं, वे मंत्रियों की गाडियां चलाते है, कंप्यूटर पर मुख्यमंत्री के विग्यापन आउटसोर्स कर्मी ही डिजाइन करते हैं। बिजली सप्लाई ले लेकर मंत्रियों, अधिकारियों के घर एवं दफ्तर आउटसोर्स कर्मियों के भरोसे ही चल रहे हैं, इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री और उनकी सरकार आउटसोर्स कर्मियों के बारे में न बोलती है और न ही बात करने को तैयार है, सरकार के इस रवैये से नाराज होकर प्रदेश के ढाई लाख आउटसोर्स कर्मियों ने 13 सितंबर को विधानसभा पर धरना प्रदर्शन का फैसला लिया और इसे सफल बनाने की जिम्मेदार हर आउटसोर्स कर्मी ने खुद संभाल ली है।
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