रहीम शेरानी हिन्दुस्तानी, ब्यूरो चीफ, झाबुआ (मप्र), NIT:
पेटलावद नगर के श्रद्धांजली चौक वार्ड नं 01 पर पुरानी दुकानों को तोड़कर नवीन बनाई गई. दुकानों के प्रस्ताव को निरस्त होने के आदेश के बाद जहां पूरे नंगर में चर्चाओं का दौर चल रहा है और पूरे नगर की निगाहें परिषद के अगले कदम पर टिकी हुई हैं वहीं इस मामले नगर परिषद ने अपना अंतिम दांव खेलते हुए इस सम्बन्ध में 29 अगस्त सोमवार को बैठक का आयोजन रख लिया है।
बैठक के मुख्य एजेंडे
इस सम्बन्ध में नगर परिषद की ओर से समस्त पार्षदों को बैठक के एजेंडे का सूचना पत्र जारी किया गया है जिसमें मुख्य रूप से 04 एजेंडे पेंडिंग नामांतरण, आवेदनों पर विचार, सरकार की पेंशन योजनाओं के आवेदन पर विचार, दुकान नामान्तरण पर विचार और कलेक्टर के दुकानों सम्बन्धी दिये गए आदेश के सम्बंध में विचार सहित कुल 04 मुद्दों पर आज सोमवार को परिषद हाल में बेठक रखी गयी है।
आयुक्त और डूडा ने पहुंचाया था पूरा मामला कलेक्टर तक
उल्लेखनीय है कि गुरुवार शाम को नगर परिषद के सीएमओ राजकुमार ठाकुर ने नगर के पत्रकारों को जानकारी देते हुये बताया कि नगरीय प्रशाशन विभाग के संभागीय आयुक्त और डूडा कार्यालय झाबुआ ने पूरा मामला कलेक्टर झाबुआ को भेजा था और कलेक्टर झाबुआ ने एक आदेश जारी करते हुए परिषद के डेढ़ वर्ष पुराने ठहराव प्रस्ताव को निरस्त कर दिया, दुकानों को रोस्टर और नियम अनुसार नीलाम करने और नए निर्णय और प्रस्ताव के लिये नगर परिषद को निर्देशित किया है। जिसमें पूर्व में 01 दुकान जो कि 55 लाख में निलाम हुई है मात्र उसको छोड़कर शेष 08 दुकानों के लिये फिर से नियमानुसार प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
परिषद ने बनाया था प्रस्ताव, प्रस्ताव पर भरोसा कर खाली कर दी दुकानें
उलेखनीय है कि इसी प्रस्ताव के तहत डेढ़ वर्ष पूर्व नगर परिषद ने 09 दुकानदारों के पक्ष में पारित करते हुये निर्णय लिया था कि श्रद्धांजलि चौक की पुरानी जीर्ण शीर्ण दुकानों को तोड़कर नवीन दुकानें बनाई जाएंगी और ये दुकानें पुराने दुकानदारों को लागत मूल्य जमा करवाते हुए दी जावेगी अर्थात पुराने दुकानदार ही इन दुकानों के लिये अधिकार रखेंगे। और इसी प्रस्ताव पर भरोसा करते हुये 08 दुकांनदारो ने अपनी दुकानें खाली की थी और लगभग सभी दुकानदारों ने 1 से 2 लाख रुपये एडवांस भर भी दिये थे और पिछले डेढ़ वर्ष से दुकानदार बेरोजगार घूम रहे हैं।
दुकानदार को मिले या नीलाम हो
वहीं इस बैठक की सूचना के बाद नगर में तरह तरह कि चर्चाओं का दौर फिर चल पड़ा है जिसमें कुछ लोग कमिश्नर और कलेक्टर के आदेश के बाद नगर परिषद के इस बारे में निर्णय लेने के अधिकारों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहे हैं तो कुछ शिकायतकर्ता इस सम्बंध में वरिष्ठ अधिकारी के निर्देशों का उल्लंघन और अवमानना मान रहे हैं।
परिषद को अपने करार को पूरा करना चाहिए
इस सम्बंध में नगर के गणमान्य नागरिक मिलिंद मेहता का कहना है कि दुकानदारों ने एक अनुबंध के तहत दुकानें खाली की हैं और ये निर्माण संभव हो पाया है। उनको पूर्व अनुबंध के तहत दुकानें दी जाना चाहिए। एक दुकान की नीलामी से 55 लाख की उगाही हो जाने से नगर परिषद की नियत खराब नहीं होनी चाहिए। उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि ये 55 लाख भी आपको उन दुकानदारों की वजह से ही मिले हैं जिन्होंने दुकानें खाली करके आपको एक अतिरिक्त दुकान बनाने का अवसर दिया है।
हमारा क्या दोष, परिषद पर है भरोसा
इस सम्बंध में दुकानदार संतोष मारू जेन ने बताया कि हमने शासन और परिषद के हर आदेश को माना, इन दुकानों से हमारे परिवार की रोजी रोटी चलती है, पिछले डेढ़ साल से बेरोजगार हैं, दुकान नहीं मिली तो हमारे परिवार पर आर्थिक संकट आ जायेगा। हमको परिषद पर पूरा भरोसा है।
मैं दुकानदारो के साथ हूँ: नप अध्यक्ष मनोहरलाल भटेरा
इस सम्बंध में नप के अध्यक्ष मनोहरलाल भटेवरा ने बताया की हम शुरू से दुकानदारों को उनका हक दिलाने के पक्ष में हैं। निर्माण शुरू करने से पहले ही लिखित में प्रसताव बनाकर दे चुके थे। लागत मूल्य भी बढ़ा दी थी। बैठक में भी में दुकानदारों की पूरी मदद करूंगा।
कोर्ट तक जाऊंगा: चंदन एस भंडारी
इस सम्बंध में मुख्य शिकायतकर्ता चंदन एस भण्डारी ने बताया कि कलेक्टर, डूडा और आयुक्त के निर्देशों का पालन कर बेरोजगारों को रोस्टर नियम अनुसार दुकान नीलामी की जानी चाहिए परिषद की आय में व्रद्धि होगी। यदि बेठक में वरिष्ठ अधिकारीयो के आदेशों का उल्लंघन हुआ तो पूरा मामला कोर्ट तक ले जाऊंगा।
क्या बोलते है नियम,
इस सम्बंध में विधि विशेषज्ञों की मानें तो
(1) दुकानदार नप की दुकानों के किराएदार हैं और मप्र भाड़ा नियंत्रण अधिनियम प्रावधानों के तहत जिस दिन दुकानदारों ने दुकान खाली करी उसी दिन से इनका अनुबंध समाप्त हो गया अब नप नए रूप में दुकानों के निर्णय लेने के लिये स्वत्रंत है।
(2) वरिष्ठ अधिकारी के आदेश के विरुद्ध या तो परिषद अथवा दुकानदार कोर्ट जाकर इस प्रस्ताव को निरस्त करने के आदेशों को चुनोती दे और नीलामी पर स्टे ले।
(3) कलेक्टर परिषद का विहित प्राधिकारी होता है परिषद ओर सीएमओ आदेशो को मानने के लिये बाध्य है।
गेंद परिषद के पाले में है आखरी बैठक
अब पूरे मामले में गेंद फिलहाल परिषद के पाले में है। लेकिन यहां बड़ा पेंच फस गया है क्योंकि इस परिषद का 05 साल का कार्यकाल आगामी 09 सितम्बर को पूरा हो रहा है और 29 अगस्त को होने वाली बैठक इस परिषद की सम्भवतया आखरी बैठक है और इस आखरी बैठक में लिये गए निर्णयों के परिणाम परिषद के वर्तमान सदस्यों को लंबे समय तक भुगतने हैं क्योंकि यदि दुकानों की नीलामी करते हैं तो दुकानदार नाराज होकर कोर्ट जाएंगे और दुकानदारों को दुकान देते हैं तो शासन के आदेश की अवहेलना और परिषद को आर्थिक नुकसान के बिंदुओं पर शिकायतकर्ता नाराज होकर कोर्ट जाएंगे अर्थात कुल मिलाकर माननीयों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं।
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