Edited by Sabir Khan; मकसूद अली, नई दिल्ली, NIT;
गाय के नाम पर भीड़ द्वारा की जा रही हत्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (21 जुलाई) को केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई। सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार को निर्देश देते हुए कहा है कि वे हलफनामा दायर कर बताएं कि उन्होंने गाय के नाम पर हो रही इस प्रकार की हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए क्या किया है?
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में समाज सेवक तहसीन पूनावाला की जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही थी। जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों को कथित गौरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सरकार हिंसा के खिलाफ है। केंद्र सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि देश के अलग-अलग राज्यों में गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा के मामलों में कार्रवाई करना राज्य सरकार का काम है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्वयंभू गोरक्षकों की हिंसक की घटनाओं के संदर्भ में निर्देश देते हुए केंद्र एवं राज्यों से कहा कि वे किसी भी स्वयंभू गोरक्षकों को संरक्षण नहीं दें। न्यायमूतर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूतर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूतर्ति एम शांतानागौदर की तीन सदस्यीय खंडपीठ को केंद्र ने सूचित किया कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है, लेकिन वह देश में गोरक्षा के नाम पर किसी भी प्रकार की गतिविधियों का समर्थन नहीं करता।
सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि कानून-व्यवस्था राज्य के अधीन है और केंद्र सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है, लेकिन केंद्र का मानना है कि कानून की प्रक्रिया के अनुसार देश में किसी भी स्वंयभू गोरक्षक समूह का कोई स्थान नहीं है। अपनी याचिका में पूनावाला ने कहा है कि इन गोरक्षा समूहों द्वारा की जाने वाली कथित हिंसा इस हद तक बढ़ गई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन लोगों के बारे में कहा था कि वे समाज को नष्ट कर रहे हैं।
दिल्ली पुलिस बोली- ” महात्मा गांधी बहुत दूर चले गए, कानून के हिसाब से नहीं होता हर काम”
भीड़ द्वारा की जा रही हत्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र द्वारा जवाब दाखिल नहीं करने को लेकर तहसीन पूनावाला सहित अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने काली पट्टी बांधकर संसद के बाहर बैठ गए। इस दौरान वहां मौजूद दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने बदसलूकी की और पूनावाला से कहा कि आप यहां काली पट्टी बांधकर नहीं बैठ सकते। इस पर जब पूनावाला ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का हवाला दिया तो पुलिस अधिकारी ने कहा कि महात्मा गांधी अब बहुत दूर चले गए हैं। पुलिस अधिकारी के इस बयान का सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महात्मा गांधी का अपमान बताते हुए विरोध जताया। जिस पर पुलिसकर्मियों ने उन्हें जबरदस्ती वहां से उठाकर पुलिस थाने लेकर जाने लगे। समाज सेवकों ने जब पुलिस अधिकारी पूछा की आप किस कानून के तहत हमें यहां से लेकर जा रहे हैं? इस पर अधिकारी ने बेतुका बयान देते हुए कहा कि यहां हर चीज कानून के तहत नहीं होता है। जिसके बाद पूनावाला सहित सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं को पुलिस संसद स्थिति पुलिस थाने लेकर गई, जहां से उन्हें तत्काल छोड़ दिया गया।
न्यू इंडिया टाइम्स (NIT) के संवाददाता मकसूद अली से बात करते हुए तहसीन पूनावाला ने कहा कि पुलिस अधिकारी ने हम लोगों के साथ दुर्व्यवहार तो किया ही साथ ही उसने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी अपमानित किया है, जो भारत जैसे लोकतंत्र देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस मामले को हम जोर-शोर से उठाएंगे।
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