त्रिवेंद्र जाट, देवरी/सागर (मप्र), NIT:
मध्य प्रदेश भर में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं द्वारा वेतन वृद्धि एवं अन्य मांगों को लेकर आंदोलन किया गया था. जिस दौरान प्रदेश भर में आंगनबाड़ी बंद कर धरना आंदोलन जिले स्तर पर किए गए थे जिसमें सागर जिले में चल रहे बस स्टैंड तिराहा पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के आंदोलन एवं धरना प्रदर्शन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रतिनिधि के रूप में मंत्री भूपेंद्र सिंह जी द्वारा धरना स्थल पर पहुंचकर आश्वासन दिया गया था की समस्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं की मांगों को सरकार द्वारा शीघ्र उचित मागों को मान लिया जाएगा और समस्त धरना प्रदर्शन में बैठी माताएं बहनों को दूसरे दिन ड्यूटी पर जाने के लिए निवेदन किया गया था. मगर आज दिनांक तक ना ही उनकी मांगों को सरकार द्वारा माना गया उलटा करीब 3 माह का वेतन विभाग द्वारा रोक दिया गया जिसके कारण आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाये बड़े ही आर्थिक संकट से झूज कर परेशान हो रही हैं 3 माह का वेतन ना मिलने से उनके परिवार का भरण पोषण होने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है मगर इस ओर ना ही बहनों के भाई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को कुछ दिख रहा है ना ही आश्वासन देने आए मंत्री भूपेंद्र सिंह जी को कुछ नजर आ रहा है ऐसी स्थिति में इन बहनों की आर्थिक स्थिति में सुनने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है जबकि आंगनबाडी कार्यकर्ता का मानदेय 10000/- दस हजार रुपये मात्र सरकार द्वारा दिया जाता है एवं सहायिका का मानदेय 5000/- पाँच हजार रुपये मात्र सरकार द्वारा दिया जाता है। उसी मानदेय से उसके परिवार का भरण-पोषण होता है किन्तु शासन द्वारा अभी तक सागर जिले में तीन माह (मार्च-अप्रेल-मई) का मानदेय कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के खाते में अभी तक नहीं आया। कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के मन में दुख के साथ आक्रोश भी है ।क्या मध्यप्रदेश शासन के मुख्यमंत्री जो बहनों के भाई कहे जाते हैं क्या अपनी बहनों को इस आर्थिक संकट में जूझत देखते रहेंगे या इनकी समस्या का निराकरण करने के लिए शीघ्र ही संबंधित विभाग के अधिकारियों को आदेशित करेंगे ।वही समस्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाये बहने अपने भाई से वेतन दिलाने की मांग की गुहार लगा रही हैअब देखते हैं क्या बहनों के भाई शिवराज सिंह चौहान इस मामले को गंभीरता से लेकर कोई सख्त कदम उठाते हैं या अपनी बहनों को आर्थिक संकट में जूझते ही देखते रहेंगे।
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