नरेंद्र कुमार, जामनेर/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
पूर्व मंत्री गिरीश महाजन के प्रयासों के कारण केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय की ओर से जलगांव के लिए होमियोपैथी कॉलेज को मंजूरी मिली है. जनता की यह अभीप्सा थी कि ये कॉलेज जामनेर में बनता तो कितना अच्छा होता. ठीक ऐसा ही वन औषधी अनुसंधान कॉलेज प्रोजेक्ट महाजन के मंत्री रहते जामनेर में बनना प्रस्तावित था जो बस अखबारों की सुर्खियों में सिमट गया. गंगापुरी के संरक्षित वन क्षेत्र में बनने वाला वन औषधी अनुसंधान केंद्र का प्रोजेक्ट जो जामनेर को राष्ट्रीय पहचान दिलाने की क्षमता रखता था क्या वह प्रचार का टूलकिट साबित हुआ? ऐसा सवाल जनता में पूछा जाने लगा है. 9 जून 2018 को भारत सरकार के आयुष मंत्रालय अंतर्गत ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेदा की निदेशक डॉ तनुजा नेसरी, नेशनल मेडिकल प्लांटस बोर्ड की तकनीकी निदेशक पद्मप्रिया बालाकृष्णन, आयुर्वेद नेचुरोपैथी यूनानी तथा होमियोपैथी के उप कार्यकारी निदेशक आर सी अग्रवाल इन अधिकारियों ने दिल्ली से आकर गंगापुरी के संरक्षित जंगल परिसर का मुआयना कर वन औषधी अनुसंधान केंद्र के लिए फाइल वर्क किया. महाजन ने कहा था कि जल्द ही अनुसंधान संस्थान का निर्माण होगा जिसमें कई कोर्स छात्रों को पढ़ाए जाएंगे. जामनेर को नई पहचान तथा प्रतिष्ठा प्राप्त होगी. आज इस बात को पूरे पांच साल बीत गए हैं जमीन पर कुछ भी नहीं है. दिल्ली से आए उक्त अधिकारियों से हमने प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति के विषय में जानकारी हासिल करने की कोशिश की लेकिन उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका. आखिर अनुसंधान केंद्र को लेकर आगे क्या कार्रवाई हुई? प्रोजेक्ट स्टेटस क्या है? यह जानने के अधिकार से उस जनता को वंचित नहीं रखा जा सकता जिसे इसका सपना बेचा गया था. ठीक इसी तरह MIDC के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये मंजूर करवाए गए जिसमें बुनियादी सुविधा के नाम पर बस 3 किमी की डामरी सड़क बनाई गई है. वैसे MIDC के लिए प्रशासन की ओर से 100 एकड़ सरकारी जमीन आबंटित की जा चुकी है. निधि के अभाव से निजी जमीनों का आवंटन अधर में लटका है. यहां भी टेक्सटाइल पार्क के निर्माण का अभूतपूर्व प्रकल्प बनाया जाना था जो अब तक नहीं बन सका. चुनाव के मुहाने भाजपा की ओर से किए जाने वाले विकास कार्यों के ताबड़तोड़ उद्घाटनों और शिलान्यासों को लेकर महाजन हमेशा विपक्ष के निशाने पर रहते हैं. बावजूद इसके महाजन की व्यक्तित्व की आभा इतनी शानदार है की जनता के बीच तर्क और सवालों के लिए कोई गुंजाइश शेष नहीं बचती.
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