इम्तियाज़ चिश्ती, ब्यूरो चीफ, दमोह (मप्र), NIT:
अभी हाल ही में प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने दमोह आगमन पर उत्कृष्ट कार्यों के लिए अधिकारी की पीठ थपथपाई थी और कर्मचारियों को यशस्वी पत्र के साथ सम्मान निधि से नवाज़ा था ताकि समस्त अधिकारी कर्मचारी लगनशीलता और ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करें. वहीं जब प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेश और उनकी मंशा अनुसार कार्य करने ज़मीन पर उतरते हैं तो सफेदपोश के रसूख के आगे अधिकारियों को निष्पक्षता से कार्य नहीं करने दिया जाता. जी हाँ फ़िलहाल दमोह प्रशासनिक अधिकारियों के साथ तो ऐसा ही होता नजर आ रहा है।
ताजा मामला दमोह तहसीलदार से जुड़ा हुआ है जो बीते दो दिनों से प्रदेश भर में चर्चा का विषय बन गया है. जहाँ की तहसीलदार श्रीमती बबीता राठौर जो अपने कार्य के प्रति तेज तर्रार रवैया, निष्पक्षता, ईमानदारी और अपने फ़र्ज़ के आगे किसी के दबाव में ना रहकर अपना कार्य पूरी ईमानदारी से करने में भरोसा रखती हैं।
यही बात जिले भर में अवैध रूप से अतिक्रमण करने वाले और सफेदपोश से नाता रखने वालों को पसंद नहीं, इसी के चलते अब भू माफियों की नज़र में आँख में कंकड़ की तरह चुभने वाली लेडी तहसीलदार का दमोह से ट्रांसफर कराने की मुहिम तेज हो गई है लेकिन अच्छी बात ये सामने आई की अब जिले के शासकीय अधिकारी कर्मचारियों ने भी अब मोर्चा खोल दिया है और अपने अधिकारी के पक्ष में उनका ट्रांसफर नहीं होने देगें। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी अधिकारी की ईमानदारी, निष्पक्षता और निडरता पूर्वक कार्य करने वाले प्रशासनिक अधिकारी के पक्ष में उनके ही विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपने काम काज छोड़ खुद जमीन पर उतर आए अपने तहसीलदार के पक्ष में जबकी हमेशा अधिकारी कर्मचारी अपने ही डिपार्टमेंट के मुखिया से नाराज़ भी रहते हैं लेकिन कर्मचारियों के संगठन ने दमोह कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और माँग कर दी है कि उनका ट्रांसफर भूं माफिया के द्वारा कराया जा रहा है ऐसा करना ठीक नहीं है।
अगर दमोह तहसीलदार बबीता राठौर की बात की जाए तो अतिक्रमण मुहिम में जिस तरह से वे कार्य करती हैं इसमें उनका कोई सानी नहीं क्योंकि जब उन्हें जिले के मुखिया का आदेश मिलता है तो वे बेहिचक अतिक्रमणकारियों, भूं माफियाओं के बीच कार्यवाही करती हैं तो भूं माफियाओं के भी होश फाख्ता हो जाते हैं. इतना ही नहीं बल्कि बड़े से बड़े अतिक्रमण करने वाले और भू माफियाओं की रात की नींद और दिन का चैन हराम हो जाता है। अब सवाल उठता है की जब खुद मुख्यमंत्री की मंशा अनुसार जिले की जिम्मेदारी निभाई जा रही हो तो ऐसे में दमोह तहसीलदार का ट्रांसफर करना क्या जिले और जिले वासियों के हक़ में होगा। अब जनप्रतिनिधियों को ये भी समझना होगा की कहीं ऐसा ना हो छुट भैया नेता नुमा भू माफियाओं की बातों में आकर इस मुहिम पर अगर अमल होता है तो अपने ही क्षेत्र के विकास में रुकावट डालने जैसा होगा।
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