गणेश मौर्य, ब्यूरो चीफ, अंबेडकर नगर (यूपी), NIT:
जिले में बिकने वाली सस्ती आइसक्रीम अगर आप अपने बच्चों को दिलाते हैं तो सावधान हो जाएं, ऐसी भूल ना करें, कम दामों पर गली मोहल्लों कालोनियों में बिकने वाली ऐसी आइसक्रीम आपके फूल से बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। अकबरपुर, शहजादपुर, बेवाना, बसखारी, टांडा, जलालपुर जिले के कई फैक्ट्रियों में जहरीली आइसक्रीम का धड़ल्ले से उत्पादन किया जा रहा है और खाद्य अधिकारी कानों में तेल डालकर अपने चेंबर में चैन की नींद आराम फरमा रहे हैं। क्योंकि सुविधा शुल्क साहब के दफ्तर तक आराम से पहुंच जा रहा है। इसी तरह गुणवत्ता का जरा सा भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है।
इस संबंध में कई आइसक्रीम वालों ने बताया कि बड़े साहब को 15,000 का शुल्क हर साल पहुंच जाता है। अगर अच्छी क्वालिटी का तैयार करेंगे तो फिर बचत कहां आएगी, इन्हीं कारणों से स्क्रीन की मात्रा बढ़ाई जाती है। गर्मी में आइसक्रीम खाने का सभी का मन कर जाता है। इस मामले में जब बड़े अपने आपको नहीं रोक पाते तो छोटे बच्चों के क्या कहने। वे भी जमकर आइसक्रीम खाते हैं। लेकिन हम कहेंगे सावधान! कहीं आप मौत तो नहीं खरीद रहे। कोविड-19 से किसी तरह जान बची तो जहरीली मिठाई ने आफत मचा रखा है। इन दिनों बाजार में धड़ल्ले से मिलावटखोरी चल रही है। मिलावटी सामग्री में अब आइसक्रिम भी शामिल हो गई है। गर्मी का फायदा उठाकर बाजार में मिलावटी आइसक्रीम बेची जा रही है। यह न केवल आपके स्वास्थ्य पर बल्कि आपके बच्चों के लिए भी खतरनाक और जानलेवा तक साबित हो सकती है। अंबेडकर नगर में खाद्य सुरक्षा अधिकारी के ठोस कार्रवाई न करने के कारण विक्रेता नौनिहाल बच्चों को मौत बांट रहे हैं। गर्मी में आइसक्रीम की बिक्री तेज हो जाती है। इसका फायदा उठा कुछ मोटी कमाई के चक्कर में लोग मिलावटी आइसक्रीम बेचने लगते हैं। इस गौरखधंधे को रोकने के लिए आइसक्रीम और कैंडी की फैक्ट्रियों पर छापेमारी के निर्देश तो शासन से जारी कर दिए गए हैं मगर खाद्य विभाग की कार्रवाई से आइसक्रीम फैक्ट्रियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है।
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