भरत-लक्ष्मण से भी बढ़कर है बागपत के रूपक त्यागी का भाई प्रेम | New India Times

विवेक जैन, बागपत (यूपी), NIT:

भरत-लक्ष्मण से भी बढ़कर है बागपत के रूपक त्यागी का भाई प्रेम | New India Times

भारतीय इतिहास में भरत-लक्ष्मण का श्रीराम जी के प्रति भाई प्रेम जग विख्यात है, लेकिन हमारे देश में अनेकों ऐसे भी उदाहरण हैं जो भरत-लक्ष्मण के भाई प्रेम से श्रेष्ठ माने जाते हैं। इसी क्रम में बागपत के बड़ा गांव निवासी रूपक त्यागी का नाम प्रमुखता से सामने आता है, जिन्होंने महज 28 वर्ष की छोटी सी उम्र में अपने मरणासन स्थिति में पहुॅंच चुके भाई सोमपाल उर्फ नितिन को अपनी किडनी देकर उनके जीवन की रक्षा की। किड़नी डोनेट करने से पहले जब डाक्टरों ने रूपक त्यागी को बताया कि किड़नी डोनेट करने के दौरान और उसके बाद रूपक के जीवन को भी खतरा हो सकता है, तब रूपक त्यागी ने डाक्टरों से कहा कि आप सिर्फ भाई को बचायें, एक की जगह दोनों किड़नी भी भाई को लग जाये तो भी कोई फर्क नही, बस भाई जीवित रहना चाहिये, मेरे जीवन के बारे में चिंता ना करें। भाई के प्रति भाई के प्रेम, त्याग और आदर भावना का बागपत के रूपक त्यागी एक आदर्श उदाहरण हैं। रूपक त्यागी जैसे भाई इस संसार में मिलना बड़ा दुर्लभ है। ग्राम वासियों ने बताया कि घर ही बच्चों की प्रथम पाठशाला होती है। बताया कि रूपक के पिता तपेश्वर त्यागी पेशे से शिक्षक हैं। परिवार बड़ा ही धार्मिक है और समाजसेवी कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। ग्राम वासियों ने कहा कि जो संस्कार रूपक त्यागी को उनके परिजनों ने दिये है, वह काबिले तारीफ है। कहा कि आज के समय में जहॉं भाई-भाई के बीच जमीन-जायदाद को हड़पने को लेकर खून-खराबे हो रहे हैं, ऐसे समय में रूपक त्यागी समाज, देश और विश्व के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं।


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