शरिफ अंसारी, मुंबई, NIT; पिछले कई महीनों से गाय के नाम पर हत्याकांड का सिलसिला जारी है, जिसके विरोध में पूरे देश के लोगों में आक्रोश पाया जा रहा है। जानवरों के नाम पर इंसानों की हत्या ने कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है।गौवंश की रक्षा के नाम पर हो रही हिंसक घटनाओं से हर व्यक्ति अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहा है। जगह-जगह मुसलमानों व देश में बसने वाले अन्य अल्पसंख्यकों पर गौरक्षकों व भीड़ द्वारा अत्याचार किया जा रहा है। ट्रेनों में सड़कों पर कहीं भी लोग सुरक्षित नहीं हैं। यह अमानवीय कृत्य गाय को लेकर किया जा रहा है। गौरक्षा के ठेकेदार इंसानों की जान ले रहे हैं, इस तरह से सरकार ने गौ रक्षा के नाम पर कुछ लोगों को बदमाशी की पूरी छूट दे रखी है। भाजपा शासित राज्यों में निर्दोषों पर उक्त प्रकार का अत्याचार जारी है। पुलिस और सरकार इसे रोकने में नाकाम साबित हो चुकी है। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घोषणा करते हैं कि गौ रक्षा के नाम पर लोगों ने हत्या करना शुरू कर दिया है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा लेकिन प्रधानमंत्री ने हत्याकांड के मुकाबला के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। जिस कारण अब तक सड़कों पर सामान्य भीड़ द्वारा बेरहमी से मार मार कर जान लेने का सिलसिला जारी है। साथ ही आतंकवाद की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। सरकार आतंकवादी कार्यवाहियों से निपटने में भी नाकाम साबित हुई है। अमरनाथ यात्रा का मामला एक ताजा उदाहरण है। हम उलमा अहले सुन्नत भिवंडी, निर्दोषों की जान लेने की कड़ी निंदा करते हैं। 14 जुलाई शुक्रवार को भिवंडी के विद्वानों और मस्जिदों के इमामों का एक शिष्टमंडल भिवंडी प्रांत अधिकारी से भेंटवार्ता कर ज्ञापन सौंपा, जिसमें महाराष्ट्र सरकार व केंद्र सरकार से निम्नलिखित मांगे की गई हैं:-
- अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
- गौ रक्षा के नाम पर होने वाली गुंडागर्दी, आतंकवाद और हिंसक कार्यवाही पर तुरंत रोक लगाए जाए।
- जो लोग इस प्रकार की कार्रवाई में लिप्त पाए जाएं उन्हें सख्त से सख्त सजा दी जाए।
- फास्ट ट्रैक कोर्ट में ऐसे मामलों को चलाकर दोषियों को जल्द से जल्द सजा दी जाए।
- अब तक जिन लोगों की इस संबंध में जान ली गई है उनके वारिसों को सरकार कम से कम 25-25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि का भुगतान करे और घर के लोगों को सरकारी नौकरी भी दी जाए।
- अमरनाथ यात्रा पर होने वाले आतंकवादी हमले में जो लोग मारे गए हैं उनके घर वालों को भी 25-25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि का भुगतान किया जाए और सरकारी नौकरी भी दी जाए।
इस प्रतिनिधिमंडल मेंमौलाना मुहम्मद यूसुफ रजा कादरी, मुफ्ती मुबश्शिर रजा अजहर मिस्बाही, मुफ्ती शमसुद्दीन मिस्बाही, मौलाना मोहम्मद अकरम मिस्बाही, मौलाना गुलजार अहमद चिश्ती, मौलाना शमशाद अहमद नूरी, मौलाना मोहम्मद उमर, मौलाना रफीक आलम, मौलाना कबीर उद्दीन नूरी, मौलाना शमशेर आलम, मौलाना गुलाम मुस्तफा अमजद, मौलाना मेराज, मौलाना मोहम्मद यूसुफ कादरी (अमजदया) मोलानाकारी इरशाद, मौलाना नसीर, मोहम्मद रजा, शमीम रजा मोहम्मद एजाज शेख, सादबरकाती आदि शामिल थे।
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