जमशेद आलम, भोपाल (मप्र), NIT:
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यझक्ष न्यायमूर्ति श्री नरेन्द्र कुमार जैन ने दो मामले में संज्ञान लेकर संबंधितों से समय-सीमा में जवाब मांगा है।
धार जिले के पाडल्या गांव में तीन साल की मासूम नंदिनी रोज की तरह बीते गुरूवार को भी अपने भाई-बहन के साथ खेल रही थी, हंस रही थी……मां पास में थी, इसलिये डर भी नहीं था। फिर अचानक कहीं से कुत्तों का एक झुंड आया और नंदिनी को नोंच डाला। बच्ची ढ़ाई मिनट तक संघर्ष करती रही, खून से उसका शरीर लथपथ हो गया और अंततः उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया। पाडल्या गांव से दूर कुत्तों के हमले में बच्ची के संघर्ष को याद करने भर से सिहरन पैदा हो जाती है। सोचिए, उसने यह पीड़ा खुद भोगी है। बेटी की मौत से मां का कलेजा फटा जा रहा है। इस गंभीर मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मुख्य सचिव, मप्र शासन, कलेक्टर, धार एवं ग्राम पंचायत, पाडल्या से तीन सप्ताह में तथ्यात्मक जवाब मांगा है। आयोग द्वारा मुख्य सचिव एवं कलेक्टर, धार से पूछा गया है कि धार जिले के गांवों में कुत्तों की नसबंदी आदि एवं अन्य सुरक्षात्मक उपायों की क्या व्यवस्था है ? साथ ही यह भी पूछा है कि क्या इस प्रकरण में कोई मुआवजा दिया गया है या नहीं ?
उल्लेखनीय है कि आवारा कुत्तों के काटने से होने वाली दुर्घटनाओं के संबंध में मप्र मानव अधिकार आयोग ने 17 मई 2019 को राज्य शासन/स्थानीय प्रशासन और उनके लोकसेवकों को पालनार्थ कुल ग्यारह अनुशंसाएं की गईं थीं। आयोग द्वारा तत्समय की गई अनुशंसाएं मुख्यतः निम्नानुसार हैं-
01- मप्र शासन को आवारा कुत्तों के काटने से होनी वाली व्यक्तियों की मृत्यु या उपहति के संबंध में तीन माह में आवश्यक प्रतिकर योजना बनाये जाने की अनुशंसा की गई है, जिससे पीड़ित व्यक्ति को यथाशीघ्र युक्तियुक्त प्रतिकर राशि शासन से प्राप्त हो सके।
02- विकल्प में मप्र शासन के राजस्व पुस्तक परिपत्र खण्ड-6 क्रमांक-4 में अन्य दुर्घटनाओं के संबंध में पीड़ितो को आर्थिक सहायता/प्रतिकर के प्रावधानों के अनुरूप ही आवारा कुत्तों के काटने से हो रही दुर्घटनाओं के सम्बन्ध में भी युक्तियुक्त प्रतिकर राशि दिलाये जाने के लिए आवश्यक संशोधन तीन माह में करने की अनुशंसा की गई।
03- जब तक कोई कार्यवाही मप्र शासन द्वारा नहीं की जाती
है, तब तक आवारा कुत्तों के काटने से हुई दुर्घटना में पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु पर दुर्घटना तिथि से दो माह में अंतरिम प्रतिकर राशि के रूप में दो लाख रूपये और उपहति कारित होने के मामले में उनकी संख्या और गंभीरता की प्रकृति को देखते हुए जांचकर 10,000/- (दस हजार रू) से 1,00,000/- (एक लाख) रूपये तक की अन्तरिम प्रतिकर राशि अदा करने की अनुशंसा की गई है।
04- इसके साथ ही विभिन्न वैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत अपेक्षा के अनुरूप मप्र शासन स्थानीय प्रशासन/स्वास्थ्य विभाग आदि को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराते हुए ऐसे आवारा कुत्तों के संबंध में आवश्यक बाड़ो (Pond), kennel कुत्ते पकड़ने के वाहन, कर्मचारियों की व्यवस्था, मोबाईल मेडिकल वेन, कुत्तों के स्टरलाईजेशन एंड इम्यूलाईजेशन, नियमानुसार संबंधित कुत्तों को विनिष्ट किये जाने की कार्यवाही ऐसी दुघर्टनाओं से पीड़ित व्यक्तियों के लिए निःशुल्क इलाज एवं आवश्यक दवाईयों की प्रत्येक स्वास्थ्य केन्द्र पर उपलब्धता आदि की अनुशंसा की गई है।
आयोग की पूर्णपीठ द्वारा जो उपरोक्त अनुशंसाएं की गई हैं, उनमें सामान्य स्थिति के आवारा कुत्तों के संरक्षण के वैधानिक प्रावधानों के साथ ही संविधान के अनुच्छेद-21 के अंतर्गत व्यक्ति को प्राप्त सुरक्षित और भयमुक्त जीवन जीने के संवैधानिक/मानव अधिकार के संरक्षण को भी विचार में लेते हुए दोनों के बीच संतुलन और सहअस्तित्व की भावना विकसित करने की अनुशंसा भी की गई है।
ये कैसे डाॅक्टर हैं, इंसान की जान का मोल नहीं समझते, आयोग ने कहा – कलेक्टर एवं सीएमएचओ छतरपुर मामले की जांच कराकर दो सप्ताह में दें जवाब
जिला अस्पताल छतरपुर में इंसान की जान की क्या कीमत है, इसका अंदाजा तब हुआ, जब 27 वर्षीया महिला अस्पताल में एक साधारण से नसबंदी आॅपरेशन में हुई लापरवाही के दौरान अपनी जिंदगी गवां बैठी। महिला का आॅपरेशन बीते बुधवार को डा. गीता चैरसिया के द्वारा किया जा रहा था। इसी दौरान अत्यधिक रक्त बहने के कारण डाॅक्टरों ने आॅपरेशन को बीच में ही छोड़कर उसके पति को बुलाकर महिला को ग्वालियर रैफर कर दिया। मऊरानीपुर तक पहुंचते ही महिला ने दम तोड़ दिया। इस मामले में पति ने डाक्टरों पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुये सिटी कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई है। इस गंभीर मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, छतरपुर से दो सप्ताह में तथ्यात्मक जवाब मांगा है। आयोग द्वारा इन अधिकारियों से पूछा गया है कि- 01. जिला अस्पताल में ब्लड बैंक की क्या स्थिति है ? 02. ग्वालियर रैफर करने के बजाये वहीं पर ब्लड की व्यवस्था क्योें नहीं की गई ? परिवारजन से या प्रायवेट धर्मार्थ संस्थान आदि से। 03. क्या मृतिका के उत्तराधिकारी को कोई मुआवजा दिया गया है या नहीं ?
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