जमशेद आलम, भोपाल (मप्र), NIT:
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री (मीडिया) के.के. मिश्रा ने कोविड की व्यवस्थाओं में असफल, लाखों मौतों के जिम्मेदार और इन मौतों के आंकड़ों से भयभीत शिवराज सरकार पर प्रदेश में मीडिया को लेकर अघोषित इमरजेंसी लगाने का आरोप लगाया है।
श्री मिश्रा ने कहा कि हाल ही में सचिव, स्वास्थ्य विभाग के हवाले से जारी एक आदेश में मीडिया को स्पष्टतः निर्देशित किया गया है कि वह कोविड को लेकर समाचार प्रकाशित एवं प्रसारित करने के पूर्व एसीएस, पीएस, कमिश्नर, कलेक्टर और सीएमएचओ की पुष्टि और अनुमति लेने के उपरांत ही इस विषयक खबरों का प्रकाशन एवं प्रसारण करें! ऐसा नहीं होने पर मीडिया संस्थानों के खिलाफ धारा-188 के तहत कार्यवाही की जायेगी। स्वास्थ्य सचिव का यह आदेश भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के साथ एक क्रूर कदम है, जो मीडिया को लेकर अघोषित आपातकाल का ही स्पष्ट संकेत है। लिहाजा, स्वास्थ्य विभाग के सचिव को स्पष्ट करना चाहिए कि यह आदेश उन्होंने किसके आदेश पर निकाला है, वे एक अधिकारी हैं या तानाशाह शासक?
श्री मिश्रा ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के वे सचिव जो जनसंपर्क आयुक्त भी लंबे समय तक रह चुके हैं, उनका यह दुष्साहस किस संस्कृति को परिभाषित कर रहा है? उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे अफसरशाह ही मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को गलत जानकारियां देकर कोविड की तीसरी लहर को सिर्फ और सिर्फ शाब्दिक जुगाली से ही निपटने का दबाव बना रहे हैं, ताकि मनवांछित मौतों के बाद वे अपनी प्रशासनिक और राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति कर सकें।
श्री मिश्रा ने कहा कि इस विषयक तीन जनवरी 2022 को राजपत्र का प्रकाशन भी हो चुका है, जिसे वापस लिया जाना चाहिए।
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