अबरार अहमद खान, स्टेट ब्यूरो चीफ, भोपाल (मप्र), NIT:
राजस्व अधिवक्ता कल्याण परिषद मध्यप्रदेश पंजीकृत ने कलेक्टर भोपाल को गत दिनों एक ज्ञापन सौंपते हुए समस्याओं के निराकरण की मांग की है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सैयद खालिद कैस ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि गत दिनों कोलार तहसील के पटवारी के भ्रष्ट आचरण के कारण जिला प्रशासन की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पूर्व भी कई कार्यालयों में पटवारी/राजस्व निरीक्षक यहाँ तक के तहसीलदार तक रिश्वत लेते हुए गिफ्तर हुऐ हैं। जिनके कारण प्रशासन की विश्वसनीयता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि इस सबके बीच अधिवक्ता वर्ग सहित आम जन के समक्ष उत्पन्न समस्याओं के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जैसे
- राजस्व प्रकरणों के निर्णय नामान्तरण/सीमांकन/बंटवारा आदि सहित अपील/निगरानी अब साफवेयर उपरान्त आरसीएमएस प्रक्रिया अनुसार कम्प्यूटर रिकार्ड में अघतन उपलब्ध है। परन्तु आवेदकों को लोकसेवा केन्द्र से निर्णयों की प्रमाणित प्रतियाँ सरलता से प्राप्त नहीं हो रही है। लोकसेवा केन्द्र से नकल रसीद कटवाने के बाद 15-20 दिन से पहले कोई नकल प्राप्त नहीं हो रही है। उसके लिये भी आवेदक को संबंधित राजस्व न्यायालय के प्रवाचक के पास चक्कर लगाने पड़ते हैं अन्यथा लोकसेवा केन्द्र निधार्रित तिथि पर आवेदन निरस्त कर देता है। कृपया आरसीएमएस प्रक्रिया के अनुपालन में लोकसेवा केन्द्र से त्वरित प्रमाणित प्रति प्रदान करने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के आदेश प्रदान करें। पूर्ववर्ती कलेक्टर महोदय को प्रस्तुत आवेदन पत्र में उनके द्वारा मामले को गंभीरता पूर्वक लेते हुए 03 दिवस में प्रचलित प्रकरणों की प्रतियाँ उपलब्ध कराने के लिखित आदेश पारित किये थे जिन पर आज तक अमल नहीं हुआ है।
- नामान्तरण आदेश पारित होने के बाद संबंधित पटवारी / राजस्व निरीक्षक द्वारा उक्त पारित आदेश को कम्प्यूटर रिकार्ड में अध्यन नही करते हैं।आवेदक नामान्तरण उपरान्त निश्चित हो जाता है तथा वर्षों बाद जब खसरा नकल निकालता है तो अमल नही होने के कारण उसको परेशानी का सामना करना पड़ता है। तथा संबंधित राजस्व न्यायालय में पुनः प्रकरण लगाने तथा महिनों चक्कर लगाने तथा पटवारी/राजस्व निरीक्षक की सेवा करने के उपरान्त कम्प्यूटर पर इंट्री होती है।
श्री कैस ने कलेक्टर से मांग की कि कृपया ऐसी व्यवस्था निर्मित करें कि नामान्तरण आदेश पारित होने के बाद संबंधित पीठासीन अधिकारी अपने अधिनस्थों से कम्प्यूटर रिकार्ड में आदेश का अमल करा दे ताकि असुविधा और भ्रष्टाचार पर रोक लगे। इस मामले में कलेक्टर ने उचित कारवाही का आश्वासन दिया है।
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