मुस्लिम मैरिज हॉलों में नाच गाने, डी.जे. जोश खरोश से रिवाज़ बन जाए तो क़ौम को बर्बाद होने से कौन रोक सकता है: शेख़ मौलाना शाही | New India Times

मुबारक अली, ब्यूरो चीफ, शाहजहांपुर (यूपी), NIT:

मुस्लिम मैरिज हॉलों में नाच गाने, डी.जे. जोश खरोश से रिवाज़ बन जाए तो क़ौम को बर्बाद होने से कौन रोक सकता है: शेख़ मौलाना शाही | New India Times

आज बारोज़ जुमेरात अल मुश्किल कुशा नेशनल सोसायटी, ख़ानक़ाह में ईमान ए बेदारी मुहिम मीटिंग-आल इंडिया मिशन के तहत जश्न ए गौस ए आज़म का ज़ोरदार प्रोग्राम किया गया। जिसमें दूर दराज़ से चलकर तमाम मेम्बर्स, अयम्मा हज़रात व ज़ायरीन शामिल हुए। क़ौम ए इस्लामिया में सुरत ए हाल में कुछ ऐसे मसले खतरनाक बीमारी की तरह पनप रहें हैं। जिसमें बड़े बड़े इल्म दार लोग और खुद इमाम सरीखे लोग मुब्तिला होते जा रहे हैं। जैसे मस्जिदों के तमाम मसले मसाइल जो इमामों के हाथ में होना चाहिए वो कमेटी अपने हिसाब से अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ कर रही हैं। जिससे इमाम के मर्तबा अदब की भी तौहीनी हो रही है।सोसायटी की टीम ने मस्जिदों-मस्जिदों और मुस्लिम मैरिज हॉलों में जाकर जायजा लिया। जिसमें बड़े अफसोस जनक मसले मिले। जिनको लेकर प्रोग्राम में तीन मुद्दों पर चर्चा और बहस हुई। शेख़ मौलाना शाही ने नसीहतन आवाम से कहा कि-
कुछ मस्जिदों में देखने को मिला है कि मस्जिद में इमाम ज़रुर हैं लेकिन इमाम की नहीं मस्जिद की कमेटी की चलती है। कमेटी जो चाहेंगी वही होगा। इमाम को अगर 4-6 हज़ार रुपए की हदिया दी जा रही है तो ऐसा लगता है कि मुत्तदियों के लिए इमाम मुलाजिम हों गये हैं। जो कि सरासर ग़लत है। आज क़ौन ने इमामों का अदब करना बिल्कुल छोड़ दिया है।आए दिन मस्जिदों में कमेटी और इमाम और मुत्तदियों के बीच नाइत्तफाकी नफरतें बढ़ती ही जा रही है। ज़रा सोचिए जब मस्जिदों इबादत गाहों में नफरतें झगड़े शुरू हो जाएंगे तो आखिर हम ईमान को सलामत कैसे रख पाएंगे। दूसरी तरफ अगर हम आज शादियों के रिवाज़ पर नज़र डालें तो पता चलता है कि इतना तो गैरमज़हब नहीं नाच तमाशा करते हैं जितना क़ौम ए मुसलमां ने अपने दीन ईमान की मट्टी पलीत कर रखी है। शादियों में दहेज की बीमारी इतनी भयानक बन गयी है कि सोसायटी में एक मसला आया कि लड़की वालों ने हाई फाई मैरिज हॉल बुक नहीं कर पाया तो लड़के वालों ने शादी मना कर दी ।और एक लड़की के बाप ने बुलेट गाड़ी नहीं दे पाई तो शादी कैंसिल कर दी।और एक शादी में अच्छा डी जे. और डांस का इंतज़ाम नहीं हुआ तो लड़के (दुल्हा)के भाई ने खूब हंगामा किया। ये हालत है हमारी क़ौम की। हमारी सोसाइटी इन गन्दे हालातों और मुद्दों को खत्म करने के लिए काफी मेहनत कर रही है। बाकायदा एक टीम कठित की गई, जिसमें वकील भी शामिल होंगे।अगर किसी लड़के वालों ने किसी गरीब की बेटी के मां बाप से दहेज मांगा गया तो सोसायटी की जानिब से कारवाई की जाएगी । मेहमान खुसूसी में अल्लामा व मौलाना तौसीफ रज़ा साबरी, क़ारी हाफ़िज़ क़ासिम रज़ा,निज़ामत व शायर ए इस्लाम व नात ख्वां हाफ़िज़ क़ासिम अख़्तर वारसी, खिदमतगार- एहसन रज़ा, मौलाना शम्सुल हक़,क़दीर खान, सुहेल खां,डा. जावेद, मायाराम, रशीद, सैकड़ों की तादाद में अकीदतमंद शामिल रहे। और तमाम अयम्मा हज़रात ने महफ़िल ए मुस्तफा व जश्न ए गौस ए पाक में मीठी-मीठी समां बांध दी।


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