आवास घोटाले पर अधिकारियों को गुमराह कर रहीं वीडीओ रीता पाल, मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल पर भेजी झूठी रिपोर्ट | New India Times

फराज़ अंसारी, ब्यूरो चीफ, बहराइच (यूपी), NIT:

आवास घोटाले पर अधिकारियों को गुमराह कर रहीं वीडीओ रीता पाल, मुख्यमंत्री शिकायत पोर्टल पर भेजी झूठी रिपोर्ट | New India Times

विकासखंड चितौरा में तैनात ग्राम पंचायत अधिकारी रीता पाल के विभागीय कारनामों की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। जिस साहस और बेफिक्री से वे अपने उच्च अधिकारियों को झूठी और भ्रामक रिपोर्ट भेज रही हैं उसे देखकर हर कोई हैरान है । प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत बने आधे अधूरे आवासों को पूर्व बताकर रीता पाल जिलाधिकारी तक को धोखे में रखने में संकोच नहीं कर रही हैं। पहले अधूरे आवासों को पूर्ण दिखाकर योजना की पूरी धनराशि निकाली जाती है फिर उच्च अधिकारियों को शिकायत मिलने पर रीता पाल दोबारा झूठी रिपोर्ट भेजकर उक्त आवासों को पूर्ण बता देती हैं जबकि हकीकत में वे आवास आज भी अधूरे पड़े हैं। झूठ, फरेब और दुस्साहस की ऐसी मिसाल केवल चितौरा ब्लॉक में ही मिल सकती है, जहाँ अधिकारी झूठी रिपोर्टों के आधार पर घोटाले पर पर्दा डाल रहे हैं । कागजों पर बने इन्हीं आवास के आंकड़ों को प्रदेश सरकार अपने चुनावी मंच से अपनी उपलब्धि बताएगी, तो वही विपक्षी दल आवास के जमीनी आंकड़ों से पलटवार करेंगे और अधिकारी दोनों दलों के मुर्गा लड़ाई से अपना मनोरंजन करेंगे । चितौरा ब्लॉक के अधिकारियों की यही सच्चाई है । ज्ञात हो कि खण्ड विकास अधिकारी चितौरा को बीते 19 नवंबर को आइजीआरएस के माध्यम से एक शिकायती पत्र दिया गया । शिकायती पत्र में दावा किया गया कि चितौरा ब्लाक की ग्राम सभा खैरा हसन में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के दो लाभार्थियों, सरोजा देवी / राम सूरत तथा सरोजा / प्यारे ने अपने आधे अधूरे आवास को अधिकारी से सांठगांठ कर सरकारी दस्तावेजों में पूर्ण दिखाकर आवास योजना की धनराशि का गबन कर लिया है । उक्त दोनों लाभार्थियों को अनुदान की संपूर्ण धनराशि 24-8 -21 को ही मिल गई थी । संबंधित अधिकारी ने 17 -8- 21 को अपने स्थलीय जांच में झूठी एवं भ्रामक रिपोर्ट लगाकर अधूरे पड़े आवास को पूर्ण दिखाया है।
दिनांक 4 दिसंबर को अपर जिला अधिकारी को प्रेषित अपनी जांच रिपोर्ट में रीता पाल ने बताया की उक्त आवास पूर्ण है । जबकि हकीकत में उन आवासों की दीवाल तक अभी पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि उच्च अधिकारियों व सरकार को गुमराह करने की ऐसी प्रवृत्ति पर रोक लग भी पाएगी या नहीं ? जिला अधिकारी के संज्ञान के बाद तस्वीर साफ हो पाएगी।


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