नरेंद्र इंगले, जामनेर/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
खबर में प्रकाशित फेसबुक पेज में लिखा गया पोस्ट महाराष्ट्र सरकार के DGIPR से है जिसमें लिखा गया है कि “महाराष्ट्र मे गुटखा बंदी लागू, दूसरे राज्यों से आनेवाले गुटखे को रोकने के लिए सीमा पर सख्त जांच अभियान चलाया जाएगा, अवैध गुटखा तस्करी और बिक्री करने वालों पर कठोर कार्रवाई के गृहमंत्री ने दिए आदेश”. वैसे गुटखा बैन किए राज्य में कई साल बीत चुके हैं इसी बैन को सख्ती से लागू करने की कवायद सरकार कर रही है. मध्य प्रदेश, गुजरात से आने वाला गुटखा अब महाराष्ट्र में ही बनाया जाने लगा है. रैपर पर वलसाड और अहमदाबाद मैन्युफैक्चरिंग प्रिंट कर गुटखे का कॉकटेल मार्केट में धड़ल्ले से बिक रहा है. दिवाली के दौरान पानमसाला नामक गुटखे की जमाखोरी से करोड़ों का व्यापार किया गया. शौकीनों में वलसाड की मांग बढ़ी तो अब जानकारी के मुताबिक नकली वलसाड ब्रांड को बाजार में उतारा गया वही उसमें कत्था चूना अधिक मात्रा में बताया जा रहा है. खबर है कि जामनेर और शेंदुर्नी से मिनी ट्रक में लादकर गुटखे के नेटवर्क को बुलढाणा तथा औरंगाबाद जिलों के तहसीलों तक ऑपरेट किया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक कॉकटेल गुटखे के एक बॉक्स की कीमत करीब 40 हजार रुपये आंकी जाती है जिसका खुदरा बाजार मे 50 से 60 हजार रुपया बनता है. गृहमंत्री के आदेश के बाद प्रशासन की ओर से इस पूरे सिस्टम पर चोट करने की कार्यवाही अब शुरू हो सकती है. आखिर पानमसाले के नाम पर फलफूल रहे गुटखा व्यापार को किसका संरक्षण है? दिवाली के मुहाने मिलावट के खिलाफ लाखों रुपये खर्च कर प्रकाशित किए जाने वाले विज्ञापनो के सहारे जनजागरण करने वाला फूड एंड ड्रग विभाग इस मामले पर कार्रवाई को लेकर चुप्पी क्यों साध लेता है? संबंधित विभागों की जवाबदेही को निभाने की जिम्मेदारी पुलिस पर थोपने से बैन सफल हो जाएगा? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब नहीं हैं.
किसी जमाने में पान ठेले चलाकर अच्छी खासी रोजी रोटी पाने वाले दुकानदार भी गुटखे के इस पानमसाला नामक आधुनिक रूप के कारण कुछ पैसे कमाने की जद्दोजहद करने पर विवश हैं. गृहमंत्री के आदेश के बाद मात्र इतनी आशा कर सकते हैं कि अवैध रूप से कॉकटेल और नकली गुटखा मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कथित कंपनियों को बंद करने की पहल हो जिससे न उत्पादन होगा न ही वितरण और व्यापार.
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