Edited by Maqsood Ali; नई दिल्ली, NIT; राष्ट्रीय विधि आयोग ने विवाह पंजीकरण अनिवार्य करने के लिए केंद्र सरकार से नया कानून बनाने की सिफारिश की है। इसके तहत तय समय तक पंजीयन न होने पर रजिस्ट्रार पांच रुपये प्रतिदिन का विलंब शुल्क लेकर रजिस्ट्रेशन करेगा।
एक समान कानून पर जोर देते हुए आयोग की 270वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी धर्मों के लोगों के लिए शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य किया जाना चाहिए। शादी समारोह के 30 दिनों के भीतर पंजीकरण हो जाना चाहिए। आयोग ने रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ एक्ट, 1969 में संशोधन करने की सिफारिश की है। आयोग की ओर से बिना किसी उचित कारण के पंजीकरण न कराने पर पांच रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाने की भी सिफारिश की गई है।
आयोग ने सिफारिश की है कि सभी विवाह चाहे वह किसी भी धर्म और पंथ के अंदर हों, आवश्यक रूप से पंजीकृत करने के लिए केंद्रीय कानून बनाया जाए। यह काम मौजूदा जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण कानून, 1969 में संशोधन कर किया जा सकता है। इसे जन्म, विवाह एवं मृत्यु पंजीकरण कानून बना दिया जाए।
अयोग ने अपनी 270वीं रिपोर्ट में कहा है कि समाज आज भी बाल विवाह, दोहरे विवाह और लैंगिक हिंसा से जूझ रहा है। विभिन्न विवाह और परिवार कानून तथा परंपराओं को ध्यान में रखते हुए इस संशोधन के लिए विस्तृत रूपरेखा तैयार की गई है। कानून मंत्रलय के आग्रह पर जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षता में किए गए अध्ययन के आधार पर विधि आयोग ने यह सिफारिश की है।
आयोग की रिपोर्ट में केंद्र को सलाह दी गई है कि इससे ‘विवाह धोखाधड़ी’ रुकेगी। वैवाहिक रिकॉर्ड न होने के कारण कुछ लोग पत्नी को पत्नी मानने से इंकार कर देते हैं। सामाजिक मान्यता और कानूनी सुरक्षा से महिलाओं को वंचित रखा जाता है।
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