ताहिर मिर्ज़ा, उमरखेड़/यवतमाल (महाराष्ट्र), NIT:
जब दुनिया में हर तरफ़ कुफ़्रो शिर्क और जुल्मो ज़ियादती का घुप अंधेरा छाया हुवा था, 12 रबीउल अव्वल शरीफ़ को मक्कए पाक में हज़रते बीबी आमिना रजि अल्लाहु अनहा के मुबारक मकान से एक ऐसा नूर चमका जिसने सारे आ़लम को जगमग जगमग कर दिया। रोती हुई इन्सानियत की आंख जिन की त़रफ़ लगी हुई थी, वह अल्लाह पाक के आखिरी नबी मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह तमाम जहानों के लिये रह़मत बन कर दुन्या में तशरीफ़ लाए।
हुज़ूरे अकरम सल्लाहो अ़लैही वस्सल्लम जहां में फ़ज़्लो रह़मत बन कर तशरीफ़ लाए और यक़ीनन अल्लाह पाक की रहमत नाज़िल होने (यानी उतरने) का दिन खुशी व मसर्रत का दिन होता है। चुनान्चे अल्लाह करीम पारह 11 सूरए यूनुस आयत 58 में इर्शाद फ़रमाता है :
तरजमए कन्जुल ईमान: तुम फ़रमाओ अल्लाह ही के फ़ज़्ल और उसी की रहमत और इसी पर चाहिये कि खुशी करें। वह उन के सब धन दौलत से बेहतर है।
12 रबी उल अव्वल के दिन पूरी दुनिया में तमाम आशिकाने रसूल मिलाद शरीफ की खुशियां मनाते हैं। इसी तरह उमरखेड़ शहर में भी सोशल डिस्टेंस तथा कोरोना के नियमों का पालन करते हुए शहर के जामा मस्जिद में 17 अक्टूबर को इज्तिमा व महफ़िल ए मिलाद का आयोजन दावते इस्लामी इंडिया के द्वारा किया गया है तथा इस इज्तिमा में आने वाले लोगों को मास्क, सैनिटाइज और कोरोना नियमों का पालन करने की अपील दावते इस्लामी की ओर से की गई है. इसी के साथ इस इज्तिमाअ़ में कोरोना वायरस की बीमारी की तीसरी लहर के खात्मे और देश में अमन व शान्ति के लिए दुआ भा मांगी जाएगी।
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