कासिम खलील, बुलढाणा (महाराष्ट्र), NIT; देश व राज्य में पत्रकारों पर हो रहे हमले व उन्हें फर्जी मामलों में फंसाने की घटनाएं आए दिन सामने आ रही हैं। हाल ही में महाराष्ट्र के अमरावती जिले के पत्रकार प्रशांत कांबले भी पुलिस की ज्यादती का शिकार हो चुके हैं। यह मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि बुलढाणा जिले में भी एक पत्रकार को बलात्कार जैसे गंभीर मामले में एक षड्यंत्र के तहत फंसा कर अपना इलाका छोडने पर मजबूर कर दिया गया, जिस कारण वह अपने तीन वर्षीय मासूम बच्ची के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाए।देश के राज नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों व गुंडे-माफियाओं द्वारा पत्रकारों पर हो रहे अत्याचार से यह साबित हो रहा है लोकतंत्र का चौथा स्तंभ इस देश में आज सुरक्षित नहीं है। बड़े-बड़े घोटालों व भ्रष्टाचारों को जनता के सामने लाने वाले पत्रकार आखिर कब तक इस प्रकार प्रशासन और राजकीय नेताओँ व गुंडे-माफियाओं की प्रताड़ना का शिकार होते रहेंगे? बुलढाणा जिले में पत्रकार पर हुए इस अन्याय के खिलाफ पत्रकारों ने आज 3 जुलाई को बुलढाणा एसपी शशिकुमार मीणा व अतिरिक्त जिलाधीश शिवानंद टाकसाले से मुलाकात कर पूरे मामले की निष्पक्षता के साथ जांच किए जाने की मांग एक ज्ञापन द्वारा की है।बुलढाणा जिले के चिखली तहसील अंतर्गत ग्राम अमडापुर के निवासी पत्रकार प्रताप कोसे ने अपनी कलम के माध्यम से कई गंभीर मामले उजागर किए हैं।उनकी इसी बेबाक पत्रकारिता से कई अवैध व्यवसायों में लिप्त लोग तथा कुछ प्रशासनिक अधिकारीयों के मन में उनके प्रति बदले की भावना पैदा हो गई थी। कुछ दिन पहले पत्रकार कोसे पर गांव के कुछ लोगों ने हमला कर दिया था। इस घटना की शिकायत पत्रकार कोसे ने अमडापुर पुलिस थाने में दी, किंतु इस शिकायत की गंभीरता को कम करने के लिए एक षड्यंत्र के तहत पत्रकार कोसे पर फर्जी बलात्कार का अपराध दर्ज किया गया। यही नहीं पत्रकार कोसे को इसी प्रकार तीन फर्जी मामलों में अब तक फंसाया जा चुका है। पत्रकार कोसे को बलात्कार का आरोपी बनाए जाने के बाद वह अग्रिम जमानत के लिए गांव से बाहर थे, इसी दरमियान उनकी 3 वर्षीय बालिका की तबीयत बिगड़ी जिसे बुलढाणा के एक अस्पताल में उपचार हेतु दाखिल किया गया जहां इलाज के दौरान बालिका की मौत हो गई। पुलिस के खौफ से पत्रकार कोसे अपनी पुत्री के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाए। यह बात हर पिता और इंसाफ पसंद लोगों को झकझोर कर रख देने वाली है कि वह अपनी पुत्री का अंतिम संस्कार भी ना कर सके। पत्रकार कोसे पर यह अन्याय की घटना उस वक्त सामने आई जब चिखली के पत्रकार संतोष लोखंडे उनके परिवार से सांत्वन पर मिलने के लिए उनके घर गए थे। यह हक़ीक़त उजागर होने पर आज बुलढाणा के पत्रकारों ने प्रशासनिक अधिकारियों से मिलकर पत्रकार कोसे पर हुए इस अन्याय का दुखड़ा अधिकारियों के सामने रखते हुए पूरे मामले की गंभीरता व निष्पक्षता से जांच कराए जाने की मांग की। इस मौके पर पत्रकार संघ अध्यक्ष राजेंद्र काले, चंद्रकांत बरदे, संतोष लोखंडे, जितेंद्र कायस्थ, भानुदास लकड़े, सुनील तिजारे, संजय जाधव, रणजीतसिंह राजपूत, नितिन शिरसाट, साबिर अली, सुधीर देशमुख, कासिम खलील शेख, पृथ्वीराज चौहान, वसीम शेख, सोहम घाडगे, संदीप वन्त्रोले, इसरार देशमुख, निलेश राउत, मंगेश निकम, प्रदीप दांडगे सहित अन्य कई पत्रकार मौजूद थे।
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