साबिर खान, उन्नाव/लखनऊ (यूपी), NIT:
उन्नाव जिला के बबुराह गांव में दलित युवतियों की हत्या मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ ट्वीट करके कानून के शिकंजे में फंसे भीम सेना प्रमुख नवाब सतपाल तंवर की अग्रिम जमानत याचिका बुधवार को भी मंजूर नहीं हो पाई। सोमवार को सुनवाई के दौरान जिला सत्र न्यायाधीश हरवीर सिंह ने नवाब सतपाल तंवर पर लगे आईटी एक्ट पर सुप्रीम के कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी करके तलब किया था और अगली सुनवाई के लिए 22 सितम्बर बुधवार की तारीख तय की थी। जिला सत्र न्यायाधीश हरवीर सिंह की अदालत में तय समय पर सुनवाई हुई। जिसपर प्रदेश सरकार ने अदालत से जवाब दाखिल करने के लिए 27 सितम्बर तक का समय मांगा। जिसे अदालत ने मंजूर करते हुए सुनवाई की तारीख 27 सितम्बर तक बढ़ा दी है। सरकार की तरफ से कहा गया कि भीम सेना के मुखिया नवाब सतपाल तंवर पर एफआईआर लिखवाने वाले उन्नाव सदर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक दिनेश चंद्र मिश्र मुकदमा लिखवाने के बाद सस्पेंड हो चुके हैं। ऐसे में पूरे मामले पर जवाब दाखिल करने के लिए उन्हें समय चाहिए। जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया है। सुनवाई के दौरान उन्नाव सदर कोतवाली मौजूदा प्रभारी निरीक्षक अखिलेश कुमार पांडेय भी उपस्थित थे।
अदालत की सुनवाई में भीम सेना चीफ नवाब सतपाल तंवर के अधिवक्ता दिलीप पाल के साथी भीम सेना उन्नाव जिला अध्यक्ष विजय कुमार कुरील, मुकेश कुमार आदि पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल रहे। नवाब सतपाल तंवर पर फरवरी माह में आईपीसी की धारा 153 और आईटी एक्ट 66 में सदर कोतवाली थाने के मुकदमा पंजीकृत किया गया था। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट आईटी एक्ट को प्रतिबंधित कर चुका है। आईटी एक्ट रद्द होने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश में सामाजिक नेताओं पर पुलिस सरकार के दवाब में आईटी एक्ट लगा रही है। सुप्रीम कोर्ट कई बार योगी सरकार को फटकार भी लगा चुका है। नवाब सतपाल तंवर मामले में भी योगी आदित्यनाथ सरकार बुरी तरह फंसी हुई है। वहीं भीम सेना के संस्थापक नवाब सतपाल तंवर पर उत्तर प्रदेश के कई जिलों में देशद्रोह सहित 3 दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज बताए गए हैं। कई मामलों में उन्हें वांटेड भी घोषित किया गया है। जब भी उत्तर प्रदेश की पुलिस ने नवाब सतपाल तंवर को गिरफ्तार करने के लिए उनके गुरुग्राम और दिल्ली के ठिकानों पर छापे मारे हैं तब-तब पुलिस खाली हाथ वापिस लौटी है। कई बार तंवर को गिरफ्तार करने के बावजूद भी पुलिस को जनविरोध के चलते मजबूरन उन्हें छोड़ना पड़ा है। आरोप ये भी लगते रहे हैं कि गुरुग्राम और दिल्ली पुलिस नवाब सतपाल तंवर का सुरक्षा कवच बने हुए हैं। लेकिन तंवर उत्तर प्रदेश सरकार के लिए कई सालों से बहुत बड़ा सिरदर्द बने हुए हैं। अब देखना होगा कि उन्नाव में दर्ज इस मामले में भीम सेना के सुप्रीमो नवाब सतपाल तंवर को राहत मिल पाती है या नहीं। बहरहाल योगी आदित्यनाथ सरकार भीम सेना चीफ नवाब सतपाल तंवर के सभी मामलों को लेकर बैकफुट पर है और आगामी विधानसभा चुनाव के चलते फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।
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