फराज अंसारी, बहराइच ( यूपी ), NIT; हल्की बारिश से ही बहराइच अस्पताल के मुख्य द्वार पर से शुरू होता है जल भराव, मुख्य द्वार से आने जाने वाले वाहन झटके ले लेकर आगे गुज़रते हैं ऐसे में मरीजों को बहुत से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है लेकिन अस्पताल प्रशाशन के अधिकारियों को इसकी कोई फिक्र नहीं है। मामूली बारिश ने ही स्वच्छ भारत अभियान की पोल खोल दी है।मामूली बारिश होती ही अस्पताल परिसर में जगह जगह जल भराव, कूडों के ढेर से उठती दुर्गंथ से संक्रामक रोगों के बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है।योगी सरकार के सख्त आदेशों के बावजूद जिला अस्पताल की सेवाएं सुधरने का नाम नही ले रही हैं। जगह-जगह कूड़े के ढेर पटे पड़े हैं, तो कई जगह पानी की निकासी की व्यवस्था न होने के कारण हल्की सी बारिश में जलभराव हो जाता है। दूषित पानी अस्पताल में आये मरीजों और तीमारदारों के लिए बीमारियों का कारण बन जाता है, बावजूद इसके जिम्मेदारों को स्वास्थ्य सेवाओं में कमिया दिखाई ही नही पड़ती हैं और न ही आने वाली समस्याओं से कोई सबक लिया जाता है। महिला अस्पताल और पुरुष अस्पताल में जगह-जगह लगे इंडिया मार्का हैण्डपम्प के अगल बगल भीषण गन्दगी व जलभराव के कारण मरीज व तिमारदार दूषित जल पीने को मजबूर हैं, साथ ही इन इंडिया मार्का हंडपम्पों पर दुर्गंध युक्त जल भराव में उतर कर लोग पानी पिनो को विवश हैं।
अभी दो दिन पूर्व ही नए सी एम एस डॉक्टर ओ पी पाण्डेय ने चार्ज लेते ही अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं चुस्त दुरुस्त करने का दावा किया था लेकिन हैरानी तो इस बात पर है की कुछ चापलूस स्वास्थ्य कर्मियों ने अपने नए सी एम एस का स्वागत भी गन्दगी और कूडों के ढेर के साथ ही किया है। जिला अस्पताल की लचर व्यव्यस्था को आईना दिखाती इस खबर का अधिकारियों पर थोड़ा भी असर होता है की नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा। अब देखना यह है कि नये सी एम एस के आने के बाद भी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं सुधरती हैं यारऔर भी बिगड़ेंगी।
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