जफर खान, अकोला (महाराष्ट्र), NIT:
पूरी दुनिया कोरोना महामारी से परेशान है, इससे निपटने के लिए सरकारों द्वारा तरह तरह की कोशिशें की जा रही हैं. कई देशों में राज्यों में लंबी अवधि के लिए लाॅक डाउन लगाए गए ताकि किसी तरह कोरोना पर नियंत्रण पाया जासके, साथ ही मास्क और सेनेटाइजर का इस्तेमाल अति आवश्यक करार दिया गया. शासन-प्रशासन जनजागृति में लगे रहे ताकि आम नागरिक अपनी रक्षा के लिए मास्क पहने तथा सेनिटाइजर का उपयोग करें. इसी की कड़ी में विभिन्न मनपा प्रशासनों द्वारा विभिन्न जुर्माने भी वसूले गए. अकोला में भी जगह जगह मनपा के कर्मचारी हाथ में जुर्माने की रसीद लिए हुए खड़े दिखाई पड़े और आज भी कभी कभार इनके करवाई करते हुए दर्शन हो ही जाते हैं। लेकिन बरसों से चली आ रही कहावत अकोला मनपा अतिक्रमण के कर्मचारी सच साबित करते नजर आरहे हैं. “चिराग तले अंधेरा” बता दें कि शहर में इस समय अतिक्रमण हटाओ मुहिम बड़ी जोरों से चल रही है मानो दूसरा कोई काम ही नहीं है। इस कार्रवाई में मनपा के सभी कर्मचारी बडी बेशर्मी से कोविड नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आए विशेष तो यह कि ना किसी कर्मचारी को मास्क था ना ही सोशल डिस्टनसिंग का कोई पालन और ना ही सेनिटाइजर का कोई उपयोग, मानो यह कर्मचारी सरे राह मनपा के नियमों को ठेंगा दिखा रहे हों. आयुक्त के आदेशों तथा कोविड के नियमों से उनका कोई लेन देन ही नहीं वे दूसरे ग्रह से आए हों। कर्मचारियों द्वारा सरे राह नियमों की धज्जियां उड़ाना यह साबित करता है कि अधिकारियों- कर्मचारियों को किसी का डर नहीं है, वह अपने मन मुताबिक ही नियमों को ताक पर रखकर कार्य करेंगे।
नागरिको में यह भी चर्चा का विषय बन गया है कि कोरोना का दंश झेल रहे छोटे व्यवसायिकों पर ही यह कार्रवाई की तलवार क्यों लटकाई जा रही है, शहर में केवल बाजार में ही अतिक्रमण है? क्या पूरा शहर अतिक्रमण मुक्त है जिस ओर मनपा प्रशासन आंखे बंद किए हुए बैठा है या किसी राजनीतिक दबाव के कारण इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है?
कर्मचारियों द्वारा कोविड नियमों के उलंघन के संदर्भ में मनपा आयुक्त ने प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया लेकिन मास्क पहनना जरूरी बताया.
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