हिमांशु सक्सेना, ग्वालियर (मप्र), NIT:
नाग पंचमी सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि शुक्रवार को हस्त नक्षत्र में मनाई गई। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि नाग पंचमी काे नाग पूजा और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन नाग पूजन से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। आज सुबह से ही शहर के नाग मंदिराें एवं शिव मंदिराें पर लाेगाें की भीड़ लगना शुरू हाे गई। लाेगाें ने विधिवत शिव के गले की शाेभा वासुकी की पूजा अर्चना कर दूध जल से अभिषेक किया।
बहाेड़ापुर इलाके में स्थित नाग मंदिर पर आज सुबह से ही मेले जैसा माहाैल था। नाग मंदिर के आसपास प्रसाद एवं धूप, दीप अगरबत्ती की दुकानें सज गई थींं।कुछ ऐसा ही नजारा छत्री मंडी एवं दाैलतगंज स्थित नाग मंदिराें पर भी देखने काे मिला। लाेग नाग मंदिर में पहुंचकर विधिविधान से नागदेवता की पूजा अर्चना कर रहे थे। भीड़ काे संभालने के लिए पुलिस फाेर्स भी लगाया गया है। जिससे की किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति निर्मित न हाे सके। हालांकि इस दाैरान लाेग काेराेना गाइड लाइन काे बिल्कुल ही भूल गए थे। आलम यह था कि लाेगाें के चेहरे पर न ताे मास्क था और न ही लाेग सुरक्षित शारीरिक दूरी के नियम का पालन कर रहे थे। नागपंचमी के अवसार पर ग्वालियर के छत्री मंडी के नागदेवता मंदिर में, दौलत गंज, सीपी कॉलोनी मुरार स्थिति नाग मंदिर पर नाग देव की विशेष पूजा हुई। सावन मास का पवित्र महीना चल रहा है। भगवान शिव को नाग बहुत प्रिय हैं। इसलिए नाग देवता वासुकी भगवान शिव के गले की शोभा बढ़ाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार पौराणिक काल से ही सर्पों को देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा आराधना से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। वृषभ राशि और वृश्चिक राशि के जातकों को नाग पूजा से विशेष लाभ होगा, क्योंकि गोचर में राहु वृषभ में व केतु वृश्चिक राशि मे विराजमान होने से चंद्र ग्रहण का निर्माण कर रहे है।
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