मेहलका इकबाल अंसारी, बुरहानपुर (मप्र), NIT:
बुरहानपुर के सिंधी बस्ती स्थित प्रसिद्ध सूफी संत हजरत सैयद हाफिज मौलाना अलहाज नजीर मियां चिश्ती उर्फ हजरत दादा मियां सरकार रहमतुल्ला अलेह का तीन दिवसीय उर्स संपन्न कराने के साथ यूपी देवा शरीफ की प्रसिद्ध अध्यात्मिक हस्ती हजरत सैयद मोहम्मद फारूक मियां चिश्ती मिस्बाही आज रविवार को धूलिया और मुंबई के लिए सड़क मार्ग से रवाना हो गए। रवानगी के पूर्व हजरत सैय्यद मोहम्मद फारुक मियां चिश्ती मिस्बाही ने अपनी श्रद्धा के अनुसार दादा मियां सरकार की दरगाह पर नगर के गणमान्य नागरिकों नूर काजी, जलील बुरहानपुरी, इकबाल अंसारी आईना, वरिष्ट पार्षद अहमद हुसैन अंसारी, सामाजिक कार्यकर्ता अकरम पठान, दरगाह से वाबस्ता सैयद मुस्तफा अली सागर, इफ्तेखार अहमद उर्फ छोटे भाई, हाजी मोहम्मद आमीन अब्दुल सत्तार, कारी अब्दुल रशीद चिश्ती, हाफ़िज़ अमीन चिश्ती सहित अन्य की मौजूदगी में फातिहा देकर विदाई ली। यूपी के देवा शरीफ की अध्यात्मिक हस्ती और खानकाही निजाम की प्रख्यात हस्ती नबीरा ए शैखुल कबीर हजरत सैयद मोहम्मद फारुक मियां चिश्ती मिस्बाही बुरहानपुर स्थित दरगाह का उर्स संपन्न कराने के लिए पिछले रविवार को मुंबई गोरखपुर कुशीनगर एक्सप्रेस से बुरहानपुर पधारे थे और इस इतवार को बुरहानपुर से धूलिया मुंबई के लिए रवाना हुए। लॉकडाउन के कारण उर्स संपन्न कराने के लिए लगभग 2 वर्ष से हजरत फारूक मियां चिश्ती बुरहानपुर नहीं आ पा रहे थे। इस बार का उर्स उनकी निगरानी और सरपरस्ती में और कमेटी के सदस्यों की मौजूदगी में सीमित संख्या में कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए हजरत फारुक मियां चिश्ती मिस्बाही ने संपन्न कराया। धुलिया रवानगी से पूर्व हजरत ने मोमिनपुरा स्थित मदरसा सुल्तान उल उलूम का आज प्रातः 8:30 बजे निरीक्षण कर आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किए। यह मदरसा हजरत मोहम्मद फारुक मियां चिश्ती मिस्बाही की सरपरस्ती और निगरानी में संचालित है। इस बार के उसकी विशेषता यह रही के उसमें महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया वहीं शनिवार की रात को गागर शरीफ के कार्यक्रम में जहां हजारों लोगों ने शिरकत करने का प्रयास किया तो हजरत फारूक मियां ने भी अपनी कुशल रणनीति के तहत 10:00 बजे शुरू होने वाले गागर शरीफ के कार्यक्रम को 9:00 बजे प्रारंभ करके 9:45 बजे उसका समापन कर दिया। जब कि वर्षों की परंपरा यह है की मध्य रात्रि के 2:00 बजे तक संपन्न होता था। बताया जाता है कि गागर शरीफ के लिए हर साल रात्री 10:00 का समय निर्धारित रहता है, लेकिन इस बार कोविड के कारण हजरत फारूक मियां ने बहुत चतुराई से काम लेते हुए इस बार का समय कम करके सबको आश्चर्यचकित कर दिया।
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