गणेश मौर्य, ब्यूरो चीफ, अंबेडकरनगर (यूपी), NIT:

बेशर्मों के चलते देश के यशस्वी प्रधानमंत्री को शर्मसार होना पड़ता है, आपको याद होगा की दिल्ली के लाल किले से देश के प्रधानमंत्री ने गांधी जयंती 2 अक्टूबर के दिन देश को स्वच्छ भारत बनाने के एक सपना दिखाया था। जिसके तहत केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत खजाने को खोल दिया। मगर 7 साल बीतने के बावजूद स्वच्छ भारत का सपना अधूरा रह गया और सरकारी खजाना खाली हो गया। आपको बताते चलें कि
बसखारी विकास खंड ग्राम सभा बेला परसा में लगभग 4 महीने से एक बार भी सफाई नहीं हुई, जिसके कारण पड़े हुए कचरे पानी में सढ़ कर दुर्गंध दे रहे हैं और इस कोविड-19 महामारी में बीमारियां सभी को सौगात दे रही हैं। ग्राम प्रधान को भी इससे कोई सरोकार नहीं बस 5 साल किसी भी तरह प्रधान की कुर्सी चले और मालपुआ खाएं।
सरकार और जिला प्रशासन की तरफ से स्वच्छता को लेकर समय-समय पर कार्यक्रम भले ही आयोजित किए जाते रहे हों, लेकिन धरातल पर स्वच्छता अभियान की लौ अभी तक भी नहीं पहुंच पाई है। जिन संस्थाओं पर समाज को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का जिम्मा है वही अगर इसको लेकर लापरवाही बरतेंगे तो आम जनता से क्या उम्मीद की जा सकती है। स्वच्छता को लेकर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन आयोजनों के दौरान स्वच्छता के बड़े-बड़े पाठ पढ़ाए जाते हैं लेकिन यह सभी महज औपचारिकता और दिखावे के लिए रह गया है। जबकि, इस गांव मेें स्वच्छता को लेकर कोई भी गंभीर नजर नहीं आ रहा है। कई जगह गंदगी के ढेर लगे रहते हैं लेकिन नियमित तौर पर इनकी सफाई नहीं की जाती है।सफाई कर्मी बगीचे में बैठकर ताश के पत्तों में लिपटा रहता है, शिकायत करने वालों को भी फटकार लग जाती है।
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