अशफाक कायमखानी, सीकर/जयपुर (राजस्थान), NIT:
शादियों में फिजूल खर्च व बिना वजह के दस्तूरों के होने के लगातार बढ़ते सिलसिलों के मध्य कोई उच्च अधिकारी तमाम तरह के फिजूल खर्च व रिवाजों को तिलांजलि देते हुये अपनी बेटी की शादी सुन्नत-ए-रसूल के अनुसार करे तो उसका अनुसरण सबको करने में हिचक नहीं होनी चाहिए।
आज के इस दौर में भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अरशद खान ने अपने पैतृक गांव सीकर जिले के बेसवा की जामा मस्जिद में बाद नमाज असर अपनी बेटी रुखसार का निकाह बीसाऊ निवासी वसीम के साथ पारिवारिक सदस्यों व कुछ मित्रों की मौजूदगी में बाकायदा कोराना गाईडलाइनस के अनुसार करवाया।
बेटी रुखसार को उनके पिता अरशद अली IPS व माता बेसवा पंचायत सरपंच जरीना खान ने सुन्नत -ए-रसूल के मुताबिक एक कुरान ए पाक, एक जायनमाज (मुसला), एक बाल्टी व एक लोटा देकर घर से दुल्हा वसीम के साथ विदा किया।
राजस्थान के मुस्लिम समुदाय की कायमखानी बिरादरी में आज के समय खासतौर पर बेटियों की शादियां बिना वजह के लेनदेन व भव्यता का दिखावा करने के चलते बहुत ही खर्चीली होना एक तरह का चलन सा परवान चढ़ चुका है। उस स्थिति में किसी भी तरह के दवाब व दिखावे के बिना आईपीएस अरशद खान ने अपनी बेटी की शादी इस तरह सादगी से करके सबको सोचने पर मजबूर कर दिया। शादी में किसी तरह का खाना (भोजन) व डेकोरेशन का इंतजाम ना होकर मात्र मस्जिद में आये हुये लोगों को शरबत पिलाकर उन्हें वहीं से विदा किया गया।
कुल मिलाकर यह है कि आईपीएस अरशद खान व बेसवा ग्राम पंचायत सरपंच जरीना खान ने अपनी बेटी रुखसार की शादी पूरी तरह शादगी से करने की चर्चा चारों तरफ सकारात्मक रुप में हो रही है। अरशद खान से पहले उप पुलिस अधीक्षक महमूद खान ने अपने बेटे की शादी भी सादगी व बिना किसी लेनदेन के सामुहिक विवाह सम्मेलन में करके एक सकारात्मक संदेश दिया था।
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