लियाक़त शाह, भुसावल/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:
पेगासस के जरिए सांसदों, पत्रकारों, मंत्रियों और अन्य लोगों की जासूसी करने से संसद में हड़कंप मच गया है. इस मुद्दे को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ देशभर में गुस्सा जताया जा रहा है. इसलिए, भाजपा सरकार को अब पेगासस के माध्यम से देश के किसानों की जासूसी करनी चाहिए ताकि उन्हें किसानों की दुर्दशा के बारे में पूरी जानकारी मिल सके और न्याय की बाधाएं दूर हो सकें, किसान नेता और शेतकरी वारकरी संघटन के अध्यक्ष सिकंदर शाह ने यह आलोचना की है.
केंद्र सरकार ने संसद में कृषि से जुड़े तीन कानून पारित किए. इस नए कानून के खिलाफ पूरे देश में भारी आक्रोश है. हालांकि यह स्पष्ट है कि ये कानून व्यापारियो फायदा पहुचाने वाला हैं और इससे किसानों की भारी लूट होगी, फिर भी केंद्र सरकार कानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है. इन कानूनों से न्यूनतम आधार मूल्य की सुरक्षा समाप्त होने की संभावना है. मूल रूप से सरकार व्यावसायिक बनी हुई है, इसलिए वह केवल व्यापारियों के हितों की देखभाल कर रही है. आज देश की 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है. कृषि इन नागरिकों का मुख्य व्यवसाय है. इसके बावजूद सरकार ने काला कानून पारित किया. किसान पिछले साल से दिल्ली सीमा पर कानून का विरोध कर रहे हैं. किसान घर छोड़कर न्याय की गुहार लगा रहा है. लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं है. कृषि ने किसानों को आर्थिक और सामाजिक कठिनाई का कारण बना दिया है. बीज के दाम आसमान छू रहे हैं. लागत से कम आय के कारण किसानों की आत्महत्याएं बढ़ी हैं. बिगड़ती आर्थिक स्थिति के कारण किसानों को कई सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. केंद्र की भाजपा सरकार को किसानों की दुर्दशा नहीं दिखती. इसलिए सरकार को अब पेगासस का उपयोग किसानों की निगरानी के लिए करना चाहिए ताकि उन्हें किसानों की समस्याओं के साथ-साथ उनकी दुर्दशा के बारे में वास्तविक जानकारी मिल सके और न्याय का रास्ता खुला हो, यह सिकंदर शाह ने कहा.
बीजेपी देश की अंग्रेज है, अंग्रेजों ने भारत पर डेढ़ सौ वर्षों तक शासन किया और नागरिकों को सताया और अब भाजपा सरकार हमारे ही देश के नागरिकों को परेशान कर रही है. पता चला है कि पेगासस के जरिए जासूसी कर चुनाव के साथ-साथ अपने स्वार्थ के लिए भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. यह भारतीय नागरिकों की स्वतंत्रता से वंचित करने का एक रूप है. सिकंदर शाह ने यह भी आलोचना की है कि अंग्रेजों को सत्ता से बेदखल करने का समय आ गया है.
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