भैरु सिंह राजपुरोहित, जयपुर, NIT; डेढ़ वर्ष से फरार चल रहा कुख्यात बदमाश आनंदपाल सिंह आखिरकार मुठभेड़ में मारा गया। शनिवार रात करीब 11:25 बजे एसओजी ने चूरू के मालासर में मुठभेड़ के दौरान उसे मार गिराया। मुठभेड़ के दौरान आनंदपाल और उसके दो साथियों ने एके 47 व अन्य हथियारों से 100 राउंड फायर किए। इस दौरान आनंदपाल को छह गोलियां लगी। एसओजी के सीआई सूर्यवीर सिंह के हाथ में फ्रेक्चर आया, जबकि पुलिसकर्मी सोहन सिंह गोलियां लगने से घायल हो गया। आनंदपाल के पास से 2 एके-47 व 400 कारतूस मिले हैं।
एसओजी ने आनंदपाल के दो भाइयों देवेंद्र उर्फ गुट्टू और विक्की को हरियाणा के सिरसा जिले के शेरपुरा गांव से गिरफ्तार किया था। उक्त दोनों अपराधी कई दिनों से शेरपुरा में डेरा जमाए हुए थे और शेरपुरा जयवीर गोदारा का पुराना गांव है, वहां उनके भाई और परिवार के लोग रहते हैं। जयवीर गोदारा का आना जाना होता रहता है। शेरपुरा और यह अपराधी जयवीर गोदारा की टोह ले रहे थे। पुलिस को इस और भी जांच करनी होगी कि क्या जयवीर गोदारा भी इनके निशाने पर था।
पूछताछ में पता चला था कि आनंदपाल मालासर में श्रवण सिंह के घर पर छिपा हुआ है। डीजीपी मनोज भट्ट ने बताया कि पिछले डेढ़ माह से एसओजी के आईजी दिनेश एमएन के सुपरविजन में एडिशनल एसपी संजीव भटनागर हरियाणा में डेरा डाले हुए थे। इस दौरान संजीव भटनागर को आनंदपाल के भाई विक्की व देवेन्द्र को सिरसा के शेरपुरा में दबिश देकर शाम छह बजे गिरफ्तार किया। इसके बाद एसओजी की एक टीम करण शर्मा के नेतृत्व में चूरू जिले के मालासर गांव में पहुंची। यहां आनंदपाल दो दिन पहले आया था। एसओजी ने घेराबंदी कर आनंदपाल को पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन वह छत पर जाकर पुलिस पर फायरिंग करने लगा। आनंदपाल ने करीब 100 राउंड फायर किए। एसओजी की जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया।
पेशी के दौरान भागा था, बेटी की भूमिका भी है संदिग्ध
3 सितंबर 2015 को अजमेर पुलिस आनंदपाल को नागौर के लाडनू में पेशी पर लेकर आई थी। पेशी से लौटते समय योजना के अनुसार परबतसर के पास बदमाशों ने पुलिस पर फायरिंग कर दी और आनंदपाल, श्रीवल्लभ व सुभाष मूंड को छुड़ाकर ले गए। आनंदपाल पुलिस की एक एके-47 रायफल भी अपने साथ ले गया था। एसओजी ने आनंदपाल की बेटी की भूमिका को भी संदिग्ध माना था। अब एसओजी आनंदपाल की बेटी को भी गिरफ्तार कर सकती है। आनंदपाल की बेटी ने जीवनराम गोदाराम हत्याकांड के गवाहों को मैनेज करने के लिए अपने पिता के साथ मिलकर फरारी की रणनीति बनाई थी। इसके बाद वह महेन्द्र सिंह व केसर सिंह के माध्यम से कमांडो शक्ति सिंह से मिली थी। इसके बाद आनंदपाल की गैंग के सदस्यों ने योजना बनाई थी। इसके लिए शक्ति सिंह ने पैसे लिए थे।
एसओजी पहुंचती उससे पहले आनंदपाल हो जाता था गायब
फरारी के पांच माह बाद नागौर पुलिस ने आनंदपाल का पीछा किया, लेकिन वह कमांडो खूमाराम पर फायरिंग कर भाग गया। फायरिंग से खुमाराम की मौत हो गई थी।
- एसओजी ने आनंदपाल के साथी को भरतपुर से गिरफ्तार किया था। आनंदपाल तब ग्वालियर में था। एसओजी कुछ घंटों बाद ग्वालियर उसके ठिकाने पर पहुंची तो वह भाग गया।
- जोधपुर के फलौदी इलाके में एक माह पहले एसओजी ने दबिश दी, लेकिन आनंदपाल एक दिन पहले ही वहां से भाग गया। ऐसे में एसओजी को उसको शरण देने वाले आरोपियों को ही गिरफ्तार करना पड़ा।
- बीकानेर अमनदीप सिंह के फार्म हाउस से पुलिस व एसओजी की दबिश से तीन दिन पहले आनंदपाल भाग गया था। एसे में एसओजी को अमनदीप सिंह को ही गिरफ्तार करना पड़ा।
- किशनगढ़ में आनंदपाल अपनी गैंग के सदस्य के पास डेढ़ माह पहले आया हुआ था, लेकिन एसओजी के पहुंचने से पहले वह भाग गया। इसके अलावा पंचकुला हरियाणा से भी पुलिस के पहुंचने से पहले आनंदपाल भाग गया था।
सीआई सूर्यवीर व सिपाही सोहन घायल
आनंदपाल से मुठभेड़ के दौरान एसओजी के सीआई सूर्यवीर सिंह के हाथ में फ्रेक्चर आया। इसके अलावा पुलिसकर्मी सोहन सिंह गोलियां लगने से घायल हो गया। सोहन की हालत गंभीर बताई जा रही है। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
Discover more from New India Times
Subscribe to get the latest posts sent to your email.