शेख़ नसीम, शाजापुर/भोपाल (मप्र), NIT:
प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की दबंगाई अब बढ़ती जा रही हैं. दो दिन पहले ही छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के कलेक्टर ने घर से दवा लेने जा रहे युवक को सरेआम थप्पड़ मारकर उसका मोबाइल तोड़ दिया था और तो और युवक को पुलिसकर्मियों से पिटवाया था जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया था और मामला छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संज्ञान में आने के बाद मुख्यमंत्री ने सूरजपुर के कलेक्टर को हटा दिया था. अभी ये मामला शांत भी नही हुआ था कि मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले की एडीएम मंजूषा विक्रांत भी अपने पद और पॉवर का रौब दिखाते हुए एक किशोर को थप्पड़ मारते हुए वीडियो में कैद हो गईं।
कोरोना-कर्फ्यू के दौरान किशोर को दुकान खोलना भारी पड़ गया, शाजापुर की एडीएम मंजूषा विक्रांत पुलिस कर्मियों के साथ एक दुकान पर पहुँची, जो खुली हुई थी, दुकान चला रहे एक किशोर को बाहर बुलाकर एडीएम ने एक जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया। कोरोना-गाइडलाइन के नियम के मुताबिक कोरोना-कर्फ्यू में दुकान खोलना गलत था लेकिन एडीएम द्वारा किशोर को थप्पड़ मारना भी गलत है, एडीएम मंजूषा विक्रांत ने नियम विरुद्ध कार्य किया है, नियम के अनुसार एडीएम को दुकान का चालान करना चाहिए था, दुकान को सील करनी चाहिए थी, धारा 188 के तहत कार्यवाही करनी चाहिए थी लेकिन एडीएम तो खुद जज बनकर सज़ा देने पर उतारू हो गई थीं।
अब देखना यह है की मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरह एडीएम पर कार्यवाही करेंगे या इस घटना को अनसुना और अनदेखा करके रफा-दफा करेंगे।
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