अशफाक कायमखानी, जयपुर, NIT;
मजदूर नेता ज़फर खान की प्रतापगढ़ में हत्या को लेकर सरकार सवालों के कठघरे में आ गई है। इंडियन एक्सप्रेस समेत कई अखबारों ने इसे प्रमुखता से छापा है।
मुख्य मंत्री वसुंधरा राजे ने इसे दुर्भायपूर्ण मौत बताया है। इस पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पूर्व मुख्य मंत्री अशोक गेहलोत ने इस पर कई ट्वीट कर सरकार को बेनकाब कर दिया :-
”लगता है मुख्य मंत्री ने जांच रिपोर्ट आने से पहले ही परिणाम घोषित कर दिया है कि ज़फर खान की हत्या नहीं हुई ”। श्री गेहलोत ने पूछा – फिर जांच क्यों दरकार है? क्या पीड़ित के परिवार ऐसे माहौल में इंसाफ की कोई उम्मीद कर सकते हैं? बीजेपी ने इसके लिए एक थ्योरी का भी अविष्कार कर लिया है कि कैसे एक सेहतमंद व्यक्ति अचानक मौत का शिकार हो गया और यह हत्या नहीं थी। यह बेहद अफसोसनाक है कि कैसे एक राज्य की मुखिया मुद्दे को बदलने के लिए यह सब कर सकती हैं”
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक – In a series of tweets, former Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot responded: “The CM of Rajasthan seems to have already reached a conclusion even before an inquiry that Zafar Khan was not murdered. What is the need for investigation then? Can the victim’s family expect justice in such a scenario? The BJP should have also invented a theory, how a healthy man suddenly died, to prove he was not murdered. What a sorry state of affairs, when the CM stoops to divert the issue.”
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक ,वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने ट्वीट किया – ” जब विधिसम्मत तरिके से निर्वाचित मुख्य मंत्री कानून के अनुसार शासन करने की सवैंधानिक सपथ ले और फिर एक क़त्ल को क़त्ल न कहे तो रोने की इच्छा होती है” । when a lawfully elected chief minster ,sworn to rule based on the constitution ,can not call a murder a murder,it is time to cry ”
बरखा दत्त ने भी राजे से ऐसे ही सवाल पूछा और कठघरे में खड़ा किया है।
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