बीडीसी व प्रधान पद के दो प्रत्याशियों को गांव में न घुसने की दी है धमकी, दोनों प्रत्याशियों ने गांव में चुनाव प्रचार तथा 140 मतदताओं को मतदान करने देने की सुरक्षात्मक व्यवस्था की मांग | New India Times

वी.के.त्रिवेदी, ब्यूरो चीफ, लखीमपुर खीरी (यूपी), NIT:

बीडीसी व प्रधान पद के दो प्रत्याशियों को गांव में न घुसने की दी है धमकी, दोनों प्रत्याशियों ने गांव में चुनाव प्रचार तथा 140 मतदताओं को मतदान करने देने की सुरक्षात्मक व्यवस्था की मांग | New India Times

मोहम्मदी कोतवाली क्षेत्र का सबसे अधिक संवेदनशील गांव खजुरिया में इलियास खां हत्याकांड के बाद से धधक रही बदले की आग वर्ष बीत जाने के बाद भी धधक रही है। इसी के चलते बीडीसी व प्रधान पद के दो प्रत्याशियों सहित 140 मतदाताओं को चुनाव प्रचार नहीं करने दिया जा रहा है। गांव में चुनाव प्रचार करने पर जान से मार डालने की धमकियां दी जा रही है। दोनों प्रत्याशियों को गांव में चुनाव प्रचार तथा 140 मतदताओं को मतदान करने देने की सुरक्षात्मक व्यवस्था की मांग की है।
ब्लाक क्षेत्र की सबसे संवेदनशील ग्रामसभा खजुरिया में मतदान वाले दिन तक किसी घटना या खून-खराबे की पूरी आशंका है। प्रधान पद के लिये मोहम्मद वली शाह पुत्र नवाब अली शाह प्रधान पद और फरमान खां पुत्र जफरूल्ला खां क्षेत्र पंचायत सदस्य पद के प्रत्याशी है। इन लोगों द्वारा नामांकन पत्र दाखिल होने व चुनाव चिन्ह मिल जाने के उपरान्त भी गांव के ही कुछ लोगों ने बाहुबल के दम पर गांव से भाग जाने पर मजबूर कर रखा है। इन दोनों प्रत्याशियों को न गांव में घुसने दिया जा रहा है और न ही चुनाव प्रचार करने दिया जा रहा है। यही नहीं गांव के 140 मतदाता भी बाहर रह रहे है इनको भी गांव घुसने नहीं दिया जा रहा है। इन दोनों प्रत्याशियों ने गत दिवस सहायक र्निवाचन अधिकारी/उपजिलाधिकारी के सामने पेश होकर गांव के दबंगो की दबंगई से अवगत करा कर सुरक्षा व्यवस्था की मांग की। एसडीएम ने आवश्यक कार्यवाही करे का आदेश कर कोतवाली भेज दिया। जहां कोतवाल ने टका सा जवाब देकर टरका दिया कि ‘‘तुम लोग इस बार चुनाव न लड़ो और मतदान मत करो क्या बिगड़ जायेगा’’। लेकिन ये प्रत्याशी और मतदाता इस बात से खासे परेशान होने पर गुरुवार को वो जिलाधिकारी के सामने पेश होने गये है। इन प्रत्याशियों ने स्वयं के खर्चे पर सशस्त्र सुरक्षा गार्ड दिये जाने व निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की है।
जनकारी के अनुसार ये विवाद पुराना है जिसने इलियास हत्याकांड के बाद भंयकर रूप धारण कर लिया है। उक्त प्रत्याशी व 140 मतदाता इलियास हत्याकांड के अभियुक्तो के पक्ष के है। इलियास हत्याकांड के बाद पुलिस एवं पीएसी की मौजूदगी में इन लोगो के घरों को तहस-नहस कर दिया गया तथा इन लोगों को गांव से जान बचा कर भागना पड़ा था। जो हत्या अभियुक्त थे वो जेल चले गए थे फिर भी उनके परिवार वाले एवं समर्थको पर उत्पीड़न का क्रम जारी रहा। उसी रंजिश का ये दुष्परिणाम है कि इन प्रत्याशियों एवं मतदाताओं को गांव में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। पुलिस प्रशासन भी अप्रत्यक्ष रूप से दबंगों के पक्ष में दिखाई दे रहा है। चुनाव प्रचार से रोकना एवं मतदान न करने देना निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। प्रत्याशियों व मतदाताओं का कहना है कि अगर उनके अधिकारों से उन्हे वंचित रखा जाता है तो वो उच्च न्यायालय जाने को मजबूर होगे।


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