चांद की हुई तस्दीक, माहे रमजान की हुई शुरुआत, इस साल भी मस्जिदों में सभी लोग नहीं पढ़ सकेंगे नमाज़ | New India Times

जुनैद काकर, धुले/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

चांद की हुई तस्दीक, माहे रमजान की हुई शुरुआत, इस साल भी मस्जिदों में सभी लोग नहीं पढ़ सकेंगे नमाज़ | New India Times

ख़ानदेश में आज मंगलवार की शाम रमजान महीने के लिए चांद देखा गया. चांद दिखने से आज से रमजान की शुरुआत हुई। इस्लामिक माह शाबान की 30 तारीख (13 अप्रैल) को जळगांव, धुलिया, नंदुरबार में चांद की तस्दीक हुई। जिसके चलते मुस्लिम मोहल्लों में रौनक और मस्जिदों में सजदे करने नमाजी बेताब दिखाई दिए।

रमजान के पाक महीने में ही पढ़ी जाने वाली खास नमाज-ए-तरावीह की शुरुआत 13 अप्रैल को इशा की नमाज के बाद से ही हो गई। इस बार नाइट कर्फ्यू के मद्देनजर तरावीह की नमाज रात नौ बजे तक ही मुकम्मल करनी पड़ेगी। ऐसे में अगर सूबे की सरकार संपूर्ण लॉकडाउन घोषित कर देती हैं तो लोगों को इस साल भी घरों में इबादत करनी होगी। फिलहाल जिला प्रशासन ने धार्मिक मंदिरों के साथ इबादत गांवों में 5 व्यक्तियों से अधिक व्यक्तियों को धार्मिक पूजा-पाठ और नमाज अदा करने की अनुमति दी है। हुफ्फाज कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए एक या सवा पारा ही पढ़ा पाएंगे। रमजान के महीने में चांद दिखने पर उसी दिन इशा की नमाज के बाद से तरावीह शुरू होती है। रोजेदार दिनभर रोजा रखकर पांचों वक्त की नमाज अदा करते हैं। रात में 17 रकात की नमाज और 20 रकात तरावीह पढ़ी जाती है, जिसमें दो से ढाई घंटे लगते हैं।

रमजान के महीने में दुनिया भर के मुसलमान पूरे दिन उपवास रखते हैं. ये महीना अपनी इच्छाओं और भूख पर लगाम लगाने का है.

मुसलमानों के लिए रमजान में रोजे रखना है जरूरी

आपको बता दें कि हर साल रमजान महीने की शुरुआत पिछले साल के मुकाबले 10 दिन पहले होती है और चंद्र वर्ष सूर्य वर्ष के मुकाबले छोटा होता है. 2020 में रमजान 23 अप्रैल को शुरू हुआ था. रमजान इस्लामी कैलैंडर का नौवां महीना होता है. इस महीने में दुनिया भर के मुसलमान सुबह से लेकर शाम तक उपवास रखते हैं.

इस्लाम में रोजा बुनियादी पांच स्तंभों में से एक है. रमजान का रोजा हर मुसलमान, बालिग और दिमागी रूप से स्थिर शख्स पर फर्ज है. इस महीने की इस्लाम में बहुत बड़ा महत्व है. रमजान में मुसलमानों को दान-पुण्य करने पर विशेष जोर दिया गया है. अमीर मुसलमानों को अपनी आमदनी में से ढाई फीसद निकालना वाजिब है. ये रकम गरीबों के बीच वितरित की जाती है.

पवित्र महीना खुद को संयमित और अनुशासित बनाए रखने का नाम है. महीने के आखिरी दस दिनों के दौरान पांच विषम नंबर की रातों में से एक ‘लैलतुल कद्र’ पड़ता है. 29 या 30 रोजे बीतने पर नए महीने का एलान किया जाता है. नए महीने की शुरुआत खुशियों के त्योहार ईद से होती है.

जिले में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए उलमा-ए-कराम ने लोगों से अपील की है कि सरकार के कोविड-19 संबंधी निर्देशों का सख्ती से पालने करें। साथ ही इकट्ठे न होते हुए अपने ही घरों में इबादतों का सिलसिला जारी रखें। पिछले वर्ष लाकडाउन में जहां महज चार से पांच लोगों को ही मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति थी, वहीं इस बार नियम थोड़े जुदा हैं। इस बार लाकडाउन तो फिलहाल नहीं है, लेकिन नाइट कर्फ्यू के दौरान कम वक्त में तरावीह की नमाज अदा करना होगा।

एहतियात का ही नाम है रोजा

एहतियात बरतने का नाम ही रोजा है। कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए इबादत करें। जरूरी न हो तो बाहर न निकलें। भीड़-भाड़ में जाने से परहेज करें। बाहर निकलना जरूरी हो तो मास्क लगाकर ही निकलें। शारीरिक दूरी नियम का हर स्थान पर पालन करें। पास-पड़ोस में जो लोग भी परेशान हाल हैं, उनकी जहां तक हो सके, मदद करें: मौलाना मिनहाज, पेश इमाम मस्जिद रहमानिया
जलगांव.


Discover more from New India Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

By nit

Discover more from New India Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading