अशफाक कायमखानी, सीकर(राजस्थान), NIT; सीकर के कायमखानी छात्रावास के छात्रो ने वार्डन नूर मोहम्मद खां रोलसाफसर के निर्देशानुसार 598 वें दादा कायम खां डे को एक कैरियर गाइडेंस के रुप मे मनाया। जिसमें मुख्य वक्ता उत्तरी भारत के जाने माने कैरियर गाइडेंसर , मोटीवेटर व सीकर में सबसे पहले MBBS व IIT की कोचिंग की शुरुवात करके सीकर को शैक्षणिक हब बनाने वालों में प्रमुख भुमिका निभाने वाले श्रवण चौधरी थे।सबसे पहले छात्रावास परीसर में छात्रों की तरफ से सामुहिक तौर पर रोजा इफ्तार का आयोजन किया गया एवं उसके बाद समारोह पूर्वक दादा कायम खां को खिराजे अकीदत पेश की गई। उसके बाद वार्डन नूर मोहम्मद खां ने समारोह के आयोजन पर प्रकाश डाला। तत्तपश्चात सामाजिक वर्कर अशफाक कायमखानी ने आज के शैक्षणिक हालात व मुस्लिम बच्चों की हालत पर तफ्सील से प्रकाश डालते हुये कैरियर गाइडेंस के अनेक नये खूल रहे रास्तों का जीक्र करते हुये कहा कि केवल डाक्टर- इंजिनियर व फौज में सिपाई बनना ही हमारा मकसद नही होना चाहिये। बल्कि हमें आज के बदलते शैक्षणिक माहौल को ममद्दे नजर रखते हुये अब हर फिल्ड में जाकर अपनी योग्यता का लोहा मनवाना होगा। जिसके लिये जीवन में गोल फिक्स करके उसको पाने के लिये एकाग्रता के साथ कठिन परिश्रम करके उसको हर हालत में पाना होगा। कायमखानी ने प्रशासनीक सेवा के आंकड़ो का जीक्र करते हुये इस फिल्ड में अधिक भागीदारी निभाने पर जोर दिया।
उत्तरी भारत के जाने माने कैरीयर गाईडर व मोटीवेटर सीएलसी निदेशक श्रवण चौधरी ने अपने ओजस्वी भाषण देते हुये बताया कि खासतौर पर गावों में रहने वाले कायमखानी व जाट समुदाय आज के तीस साल पहले करीब करीब एक सी हालत में थे। लेकिन केवल शिक्षा के मंत्र को जीवन में मजबूती से उतारने के चलते जाट समुदाय आज अन्य समुदायों से कुछ आगे निकल चुका है। उन्होंने आला दर्जे की शिक्षा ग्रहण करने के महत्व को समझाते हुये कहा कि शिक्षा के लिये कठिन परीश्रम करने और उस रास्ते में आने वाली सभी तरह की बाधाओं को हिम्मत के साथ पार करते हुये हर इंसान को दुनीया में अपना एक मुकाम बनाना चाहिये। उन्होंने उदाहरण देते हुये बताया की कभी जाट समुदाय के बच्चों को शहर के शिक्षा केन्द्रों में प्रवेश मिलना मुश्किल था। वही आज शेखावाटी मे 90 प्रतीशत से अधिक शिक्षा केन्द्र जाट समुदाय के लोग चल रहे हैं। जो बहादूर, मेहनती व वफादार कायमखानी कौम ऐसा क्यों नहीं कर सकते है? उन्हें भी इस रास्ते को मजबूती से पकड़ना चाहिये।
श्रवण चौधरी ने बच्चों का शैक्षणिक फिल्ड में नया करने व समय पर सही गाईडेंस लेने पर जोर देते हुये एक उदाहरण देकर पोजिटिव सोच को आगे बढाने पर जोर देते हुये बताया कि एक कुम्हार हमेशा चिलम बनाता था। एक दिन उसकी पत्नी ने कहा कि आज चिलम ना बनाकर इस मिट्टी से पानी भरने वाली सूरई बनाओ। कुम्हार ने उसी खंदक की मिट्टी और उसी चाक से सूरई बना डाली तो उस मिट्टी ने दुखी होकर कुम्हार से पुछा की आज क्या गलती हो गई कि आपने चिलम की जगह सूरई बना डाली। तो सूरई बोल उठी की चिलम खूद जलती थी। वही उसे यूज करने वालों को चिलम जलाती थी। खूद बदबू देती तो उसको यूज करने वालों के मुह से बदबू आती थी। अब सूरई में ठंडा पानी होगा जिससे लोग पानी पीकर खूब राहत महसूस करंगे। बच्चों को पोजिटिव सोच कर कुछ नया करने के लिये बच्चों को प्रोतासाहित किया।
श्रवण चौधरी ने अनेक उदाहरण देते हुये बच्चों के जहन में मौजूद शंकाओं को दूर करते हुये आगे कहा कि कार में घूमते समय कभी इतराओ नहीं, बल्कि सोचो लोग प्लेन में घुमते हैं। तो बाईक के मालिक बनकर दुखी मत होना कि बल्कि सोचना की किसी के पास साईकल भी नहीं है। उन्होंने बच्चों से कहा कि सब कुछ कर लेना पर कभी भी वो मत करना जिस काम से वालदेन का सर निचे होता है। उन्होंने बच्चों को विश्वास दिलाया कि वह किसी भी समय किसी भी गाईडेंस के लिये उनके पास आ सकते हैं। अगर बच्चे भारतीय प्रशासनीक सेवा की तैयारी करना चाहते हैं, सीकर छोड़कर अच्छे मुकाम को पकड़ो। अगर उसमें किसी तरह की भी मदद की जरुरत हो तो वो श्रवण चौधरी हमेशा तैयार मिलेगा।
समारोह में अजीत खान, असगर खा, डा.शाब्बीर, रफीक खा कासली, शौकत खां किरडोली, याकूब खां डिलक्स ट्रेवल्स, हाकम खां रोहसाफसर , ऐडवोकेट नवाब खां , सादुले खां जाजोद, डा.नीसार कुरेशी सहित बडी तादात में प्रमुख जन व छात्रावास के छात्र मौजूद थे। सभा का सफल संचालन छात्र हसन खां रोलसाफसर ने किया। आखिर में वार्डन नूर मोहम्मद खां ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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